नई दिल्ली: स्कोडा ऑटो इंडिया ने सितंबर 2022 के महीने में 3,543 वाहनों की बिक्री की. सितंबर 2021 में बेची गई 3,027 कारों की तुलना में, चेक गणराज्य की इस कार कंपनी ने उच्च स्थानीयकरण और उत्पादन के साथ सालाना आधार पर 17 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है.
स्कोडा ऑटो इंडिया के ब्रांड निदेशक, पेट्र सॉल्क ने कहा कि हम भारत में स्कोडा के सबसे बड़े साल की सफलता की गाथा को जारी रखते हुए पूरी तरह से खुश हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारी टीम और डीलर भागीदारों की कड़ी मेहनत का बेहतरीन परिणाम और सम्मान है. कुशाक और स्लाविया मॉडल्स बाजार में सफलतापूर्वक स्थापित हो चुके हैं और बिक्री की रफ्तार को जारी रखे हुए हैं.
कंपनी का ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं देने पर फोकस
इसके अलावा ऑक्टैविया और सुपर्ब जैसे हमारे डी-सेगमेंट उत्पाद भी अपनी-अपनी श्रेणियों में अग्रणी हैं. कंपनी ने बयान में कहा कि हमारा ध्यान अब ग्राहकों की संतुष्टि को और बेहतर बनाने और पूरे भारत में अपने कस्टमर टचप्वाइंट्स की संख्या को तेजी से बढ़ाने पर है. दिसंबर 2021 में 175 टचप्वाइंट्स से, स्कोडा ऑटो इंडिया ने 205 से अधिक टचप्वाइंट्स तक अपनी पहुंच का विस्तार किया है. कंपनी का लक्ष्य 2022 के अंत तक 250 का आंकड़ा छूना है.
कंपनी के लिए लगातार साल-दर-साल वृद्धि की प्रमुख वजह MQB-A0-IN प्लेटफॉर्म पर 95 फीसदी स्थानीयकरण रहा है, जिस पर कुशाक एसयूवी और स्लाविया सेडान आधारित हैं. स्थानीय घटकों और उत्पादों के स्थानीय अनुसंधान और विकास ने स्वामित्व लागत को 0.46 रुपये प्रति किलोमीटर तक कम कर दिया है, जिसने नए खरीदारों को आकर्षित किया है और बिक्री में वृद्धि हुई है.
भारत कंपनी के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार
मौजूदा समय में भारत जर्मनी और स्कोडा के घरेलू बाजार चेक गणराज्य के बाद विश्व स्तर पर स्कोडा ऑटो के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार है. 2022 की पहली 3 तिमाहियों के माध्यम से, कंपनी ने अपने सभी शोरूम्स को इंटरैक्टिव सुविधाओं के साथ पूरी तरह से डिजिटल बनाने का एक बड़ा मिशन भी शुरू किया, जिससे ग्राहकों के लिए चयन और खरीद अनुभव को और बढ़ाया जा सके.
आपको बता दें कि घरेलू यात्री वाहनों (PV) की बिक्री इस साल लगभग 40 लाख इकाई के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है. वाहन कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (MSI) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ दिनों पहले यह जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि मजबूत मांग और सेमीकंडक्टर की कमी के बावजूद कंपनियां उत्पादन बढ़ाने के तरीके ढूंढ रही है.
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