नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) ने तीनों कृषि कानून वापस (All three agricultural laws back) लेकर किसान आंदोलन को तो समाप्त कर दिया, लेकिन राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) की सक्रियता अभी भी कम नहीं हुई है। वे लगातार केंद्र पर दवाब बना रहे हैं, MSP की मांग उठा रहे हैं और लखीमपुर मामले में अजय टेनी के इस्तीफे (Ajay Teni resigns in Lakhimpur case) की बात कर रहे हैं। अब संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) 31 जनवरी को वादा खिलाफी दिवस मनाने जा रहा है।
किसान फिर करेंगे प्रदर्शन?
किसानों का आरोप है कि केंद्र ने MSP पर कमेटी बनाने की बात कही थी, लेकिन उस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया. वहीं यहां तक कहा गया है कि किसानों के खिलाफ जो मामले वापस होने थे, उस प्रक्रिया में भी लगातार देरी की जा रही है. इस वजह से अब फिर सरकार पर दवाब बनाने के लिए किसान सड़क पर उतरने जा रहे हैं. जानकारी मिली है कि हर राज्य जिले तहसील गांव में ट्रैक्टर रैली या धरना प्रदर्शन किया जाएगा. ऐसा कर सरकार तक अपनी मांगे पहुंचाने का प्रयास रहेगा।
टिकैत का क्या प्लान है?
वैसे किसानों ने यूपी सरकार पर भी निशाना साधा है. SKM के मुताबिक लखीमपुर हिंसा में किसान साथियों को मर्डर का मुलजिम बनाकर सरकार ने जेल में बंद कर दिया है. वहीं राज्य सरकार ने SIT रिपोर्ट आने के बाद भी टेनी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। खबर है कि इस वजह से राकेश टिकैत खुद लखीमपुर जा सकते हैं. वे 21 जनवरी को तीन दिवसीय दौरे के लिए रवाना हो सकते हैं. यहां तक कहा गया है कि अगर सरकार ने बात नहीं मानी तो उस मोर्चे को और आगे के लिए बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में चुनावी मौसम में योगी सरकार को घेरने की पूरी तैयारी की जा रही है।
SKM ने उन लोगों पर भी निशाना साधा है जिन्होंने किसान आंदोलन की आड़ में राजनीति में कदम रख दिया है. साफ शब्दों में कहा गया है कि जिसने भी किसानों का संगठन छोड़ा है और राजनीति करने का फैसला लिया है, उनका SKM से कोई लेना-देना नहीं है।
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