उज्जैन। मालवा का प्रसिद्ध 16 दिवसीय संजा पर्व बुधवार से प्रारंभ हो गया । शाम से शहर के गली मौहल्ले संजा गीतों से गूंज उठी। इस पर्व को कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना में करती हैं। माता पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए 16 दिन का संजा व्रत किया था, ऐसा उल्लेख बुजूर्गो से मिलता है, हालांकि पुराणों में इसका सीधे-सीधे कोई जिक्र नहीं मिलता। संजा पर्व का उद्यापन विवाह के एक वर्ष बाद होता है।
जानकारी के अनुसार 16 दिनों तक मण्डनेवाले विभिन्न माण्डनों के माध्यम से बुजूर्ग महिलाएं हर दिन एक कथा का करवाती है और विवाह पश्चात ससुराल में कैसा जीवन व्यतित करें, इस रूप में मार्गदर्शन करती है। गीतों के माध्यम से भी कुंवारी कन्याओं को संदेश दिया जाता है। मालवा में संजा पर्व को लेकर अनेक किवदंतियां हैं। इनमें ही एक है कि संजा एक बड़े आसुदा परिवार की बेटी थी। उसके विवाह के बाद दु:ख का सिलसिला चल पड़ा। विवाह के 16वें दिन वह मृत्यु को प्राप्त हो गई। इसीलिए 16 दिन के श्राद्ध पर्व के दौरान संजा पर्व की शुरूआत एवं समापन होता है।
आज बनेगा पूनम का पाटला
संजा पर्व के पहले दिन पूर्णिमा को पूनम का पाटला बनता है। यह भगवान सत्यनारायण की पूजा का प्रतीक है। आज भी यह मान्यता है कि विवाह पश्चात जब बहू गृह प्रवेश करती है तो भगवान सत्यनारायण की कथा सम्पन्न करवाई जाती है। पाटले को लेकर मान्यता है कि बहू गृह प्रवेश के अगले दिन अपने हाथों से रोटियां बेलकर परिवार को भोजन करवाती है। सास रोटी की गोलाई ओर उसकी सिकाई से यह बात पकड़ लेती है कि बहू को कितना आता है।
संजा गीत….
संजा तू थारे घर जा…
कि थारी मां मारेगी, कूटेगी…के डेली में दचकेगी
चांद गयो गुजरात..हिरण का बड़ा-बड़ा दांत
छोरा-छोरी डरपेगा बई डरपेगा….।
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