नई दिल्ली: बांग्लादेश में एक महीने से भी ज्यादा लंबे समय तक चले आरक्षण विरोधी आंदोलन ने शेख हसीना को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. कल नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार शपथ लेगी, लेकिन बांग्लादेश में हालात अब भी तनावपूर्ण हैं. भारत सरकार लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है और बांग्लादेश की सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
बांग्लादेश में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते कई लोग देश छोड़ने को मजबूर हैं, आज दोपहर बंगाल बॉर्डर पर हजारों बांग्लादेशियों ने घुसपैठ की कोशिश की. पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में बांग्लादेश बॉर्डर पर आज BSF ने घुसपैठ की कोशिश कर रहे लोगों को रोका.
जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश बॉर्डर पर हजारों बांग्लादेशी इस उम्मीद में डटे हुए हैं कि भारत उन्हें प्रवेश देगा. इन लोगों का कहना है कि अगर ये वापस लौटे तो शायद हिंसा में मारे जाएं. लेकिन इस तरह की घुसपैठ भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकती है लिहाजा BSF के जवान बॉर्डर पर सघन चेकिंग और कड़ी निगरानी रख रहे हैं. इसके अलावा BSF के जवान सीमावर्ती गांवों में लोगों के साथ बैठक कर उन्हें बॉर्डर पार से किसी को शरण न देने के लिए जागरुक भी कर रहे हैं. BSF जवानों ने जांच चौकियों पर भी गश्ती शुरू कर दी है.
वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि बांग्लादेश के हालात बेहद चिंताजनक हैं, उन्होंने कहा है कि, “अगर बांग्लादेश में ऐसे ही अशांति जारी रही, तो कुछ लोग भारत आने को मजबूर हो जाएंगे, इसलिए हमें अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना होगा.” उन्होंने कहा है कि शेख हसीना की सरकार में बांग्लादेश से पूर्वोत्तर के सभी आतंकवादी समूहों का सफाया कर दिया गया था, लेकिन हमारे लिए अब यह चिंता का विषय होगा कि कहीं बांग्लादेश एक बार फिर ऐसे आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह न बन जाए.
दरअसल भारत और बांग्लादेश के बीच करीब 4000 किलोमीटर लंबी सीमा है. जिसमें से सबसे ज्यादा हिस्सा करीब 2200 किलोमीटर पश्चिम बंगाल राज्य से लगता है. इसके अलावा बांग्लादेश की सीमा भारत के असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय से भी लगती है. ऐसे में भारत के लिए बॉर्डर पर सिक्योरिटी बढ़ाना और घुसपैठ की कोशिशों को रोकना बेहद अहम हो जाता है.
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