नई दिल्ली: गाजा युद्ध शुरू होने के चंद दिनों बाद ही हूती ने लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर मिसाइल और ड्रोन से हमले शुरू कर दिए थे. हूती को सबक सिखाने के लिए जब अमेरिका ने एयर स्ट्राइक की, तो अरब में महायुद्ध का खतरा बढ़ गया. ऐसे में अरब में 1991 के खाड़ी युद्ध जैसे हालात बन गए हैं.
विश्व युद्ध की आशंका इसलिए भी बढ़ती जा रही है क्योंकि हूती विद्रोहियों पर अमेरिका की एयर स्ट्राइक के बाद ईरान के साथ-साथ तुर्किए, रूस और चीन भी हूती के पक्ष में खड़े हो गए हैं. साथ ही इन देशों ने अमेरिका को धमकी भी दे दी है.
अमेरिका ने हूती के 30 लोकेशन पर बमबारी की और हूती के 60 ठिकानों को तबाह कर डाला. दो दिनों के अंदर हूती के 100 से ज्यादा ठिकाने तबाह हो गए. लाल सागर में बढ़े रक्तपात को लेकर दुनिया दो खेमों में बंट गई. एक तरफ अमेरिका और ब्रिटेन हैं तो दूसरी तरफ ईरान की अगुवाई है.
इजरायल, अमेरिका और ब्रिटेन के सामने ईरान, तुर्किए, रूस और चीन एक मंच पर आ गए हैं. हूती पर अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों से ईरान पहले ही दोनों देशों पर बौखलाया हुआ था. अब तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोआन ने भी अमेरिका और ब्रिटेन को चेतावनी दी है. एर्दोआन ने कहा कि अमेरिका ने हूती के खिलाफ हवाई हमला करके लाल सागर को ‘खून के समंदर’ में बदल दिया है.
ईरान के प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी ने भी अमेरिका को हूती पर हमले का हिसाब चुकाने की धमकी दी. हूती पर हमलों के बाद रूस और चीन भी ईरान और तुर्किए के सुर में सुर मिला रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस ने यमन पर अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों को दूसरे देश के खिलाफ सशस्त्र आक्रामकता बताया. वहीं चीन का कहना है कि यमन पर हमले क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाले हैं.
हालात ऐसे बन गए हैं कि लाल सागर में कमर्शियल शिप को उसी तरह से पास कराया जा रहा है जैसे दूसरे विश्वयुद्ध में अटलांटिक सागर में जर्मन पनडुब्बियों से जहाजों को बचाने के लिए ब्रिटिश सेना बारूद बरसाती थी.
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