नई दिल्ली। इस बार 22 अगस्त को श्रावण मास की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं. हालांकि कभी-कभी अनजाने में ऐसी राखियां आ जाती हैं जो शुभ नहीं मानी जाती हैं. इसलिए राखी का चयन बहुत ध्यान से करना चाहिए.
इस समय बाजार में तरह-तरह की डिजाइन की कई राखियां मिल रही हैं. खासतौर से चीन से आने वाली राखियां दिखने में सुंदर तो लगती हैं लेकिन ये भारतीय सभ्यता के हिसाब से नहीं बनी होती हैं. रक्षाबंधन के दिन कुछ खास तरह की राखी बांधने से बचना चाहिए. ज्योतिर्विदों का कहना है कि कुछ खास तरह की राखियां नहीं खरीदनी चाहिए.
जाने-अनजाने में बाजार से राखियां लाने में टूट जाती हैं और हम उसे वापस जोड़कर सही कर लेते हैं. अगर कोई राखी खंडित हो जाए तो उसका प्रयोग भाई की कलाई पर नहीं करना चाहिए.
चीन से आने वाली प्लास्टिक की राखियों का इस्तेमाल ना करें क्योंकि प्लास्टिक को केतु का पदार्थ माना जाता है और ये अपयश को बढ़ाता है. इसलिए रक्षाबंधन के दिन प्लास्टिक की राखियों से बचें. बाजार में कई तरह की डिजाइनर राखियां आ रही हैं जो भारतीय सभ्यता के हिसाब से सही नहीं बनाई जा रही हैं. इनके प्रयोग से भी बचना चाहिए. राखी ऐसी नहीं होनी चाहिए जिसमें कोई धारधार या किसी तरह का कोई हथियार बना हो. कई राखियों में भगवान के चित्र बने होते हैं. इस तरह की राखियों को शुभ नहीं माना जाता है. बहनों को इस तरह की राखी खरीदने से बचना चाहिए. कुछ राखियों में बहुत वर्क किया गया होता है. लोहे का वर्क की हुई राखियां भी खरीदने से बचें. इसके अलावा राखी खरीदते समय रंगों का भी ध्यान रखना जरूरी है. कभी भी ऐसी राखी ना खरीदें जिसमें काले रंग से कोई डिजाइन बनाई गई हो. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य में काले रंग का इस्तेमाल अशुभ माना जाता है. ऐसी राखी खरीदें- बहनें कोशिश करें कि रेशम से बनी, कलावे की या सूती की राखी का प्रयोग करें. इस तरह की राखी बांधने से भाइयों के यश में वृद्धि होती है. भले ही कपास या सूत का धागा ही हो लेकिन प्लास्टिक की राखियों से बचें. लाल, हरे और सफेद रंग की राखियां शुभ मानी जाती हैं.