भोपाल। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट इंदौर में बालाजी स्टेरायड्स कंपनी ने प्रदेश में उद्योग स्थापित कर हजारों लोगों को रोजगार देने के सपने दिखाए थे। वह कंपनी 18 करोड़ रुपए का कर्जा डकारने की तैयारी में है। इस खेल में मप्र वित्त विकास निगम भी कठघरे में है। मप्र वित्त निगम ने लोन डिफाल्टर होने के कारण कानूनी नोटिस जारी कर दिया है। पीथमपुर के विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र (सेज) में स्थापित बालाजी स्टेरायड्स कंपनी करोड़ों रुपये का सरकारी लोन हजम करने के चलते घेरे में आ गई। इंदौर में 2016 में हुई ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में सिंगापुर के निवेशक प्रेम आइलदासानी मप्र में मातृभूमि का कर्ज उजारने की बात कहकर प्रदेश में उद्योग लगाने की बात कही थी। एकेवीएन के अधिकारियों से आइलदासानी ने यह कहकर मुलाकात की थी कि नर्मदा का पानी दवाओं के निर्माण के लिए सबसे बेहतर है, इसलिए वे पीथमपुर में यूनिट लगाना चाह रहे हैं।
एकेवीएन ने तुरत-फुरत में आइलदासानी को पीथमपुर के सेज में जमीन आवंटित कर दी। सेज में उसी कंपनी को जमीन दी जाती है जो पूरी तरह अपने यहां उत्पादित सामग्री को निर्यात करे। आठ महीने में फैक्ट्री का निर्माण पूरा कर उत्पादन शुरू करने का दावा भी कर दिया गया। साथ ही घोषणा की गई कि आगे तीन और कंपनियां खोली जा रही है जिसके लिए एकेवीएन जमीन देगा। शुरुआती दौर में ही 800 लोगों और बाद में करीब 12 हजार लोगों को रोजगार मिलने की घोषणा भी कर दी गई। इसके बाद एमपीएफसी ने बालाजी स्टेरायड्स के बाद एक तीन बार लोन दे दिया। इस बीच कंपनी ने दवाओं का निर्यात तो दूर उत्पादन भी शुरू नहीं कर सकी। नंवबर में एमपीएफसी ने बालाजी स्टेरायड्स के कर्ताधर्ता के रूप में प्रेम आइलदासानी, पत्नी जसमीना आइलदासानी, सिद्धार्थ और अक्षय आइलदासानी को निगम ने अपने वकील लक्ष्मी वीरवानी के जरिए कानूनी नोटिस भेजा। नोटिस के अनुसार 15 दिन के भीतर कंपनी के कर्ताधर्ताओं को 18 करोड़ 69 लाख 66 हजार रुपये चुकाने का निर्देश दिया गया था।
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