नई दिल्ली। माता सीता (Mata Sita) और द्रौपदी (Droupdi) ये दो नाम भारत के इतिहास(History of india) की सबसे महत्वपूर्ण और तेजस्वी नारियों में से एक हैं। भारतीय इतिहास (Indian History) और धर्मग्रंथों(Scriptures) में ऐसी कई नारियां हुई जिन्होंने भारत के इतिहास को एक नई दिशा दी, लेकिन माता सीता (Mata Sita) और द्रौपदी (Droupdi) वो हैं जिन्होंने भारतीय जनमानस के ह्रदय के कोने कोने को छुआ। एक सतयुग की आज्ञाकारी पत्नी और दूसरी द्वापरयुग की तेजस्वी और बेबाक नारी थी। मां सीता और द्रौपदी के स्वभाव में बहुत अंतर है, लेकिन फिर भी जीवन में बहूत सी समानताएं। यूं तो दोनों का जन्म अलग अलग युग में हुआ लेकिन दोनों के जीवन में कई समानताएं हैं। आइए जानते हैं।
अयोध्या(Ayodhya) के साम्राज्य की सबसे बड़ी बहू और भगवान राम (Lord Ram)की पत्नी माता सीता और इंद्रप्रस्थ की महारानी द्रौपदी दोनों ही अपने माता पिता की वास्तविक संतान नहीं थी। पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार माता सीता राजा जनक को खेत में हल चलाते हुए धरती के भीतर से मिली थी और निसंतान राजा जनक ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर लिया था। वहीं द्रौपदी को भी राजा द्रुपद ने यज्ञ के माध्यम से प्राप्त किया था, वो यज्ञ की अग्नी से अपने भाई के साथ उत्पन्न हुई थी। दोनों ही नारियों ने मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया था।
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