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माता सीता और द्रौपदी के जीवन से जुड़ी समानताएं, जानें क्‍या है?

May 20, 2021

नई दिल्‍ली। माता सीता (Mata Sita) और द्रौपदी (Droupdi) ये दो नाम भारत के इतिहास(History of india) की सबसे महत्वपूर्ण और तेजस्वी नारियों में से एक हैं। भारतीय इतिहास (Indian History) और धर्मग्रंथों(Scriptures) में ऐसी कई नारियां हुई जिन्होंने भारत के इतिहास को एक नई दिशा दी, लेकिन माता सीता (Mata Sita) और द्रौपदी (Droupdi) वो हैं जिन्होंने भारतीय जनमानस के ह्रदय के कोने कोने को छुआ। एक सतयुग की आज्ञाकारी पत्नी और दूसरी द्वापरयुग की तेजस्वी और बेबाक नारी थी। मां सीता और द्रौपदी के स्वभाव में बहुत अंतर है, लेकिन फिर भी जीवन में बहूत सी समानताएं। यूं तो दोनों का जन्म अलग अलग युग में हुआ लेकिन दोनों के जीवन में कई समानताएं हैं। आइए जानते हैं।
अयोध्या(Ayodhya) के साम्राज्य की सबसे बड़ी बहू और भगवान राम (Lord Ram)की पत्नी माता सीता और इंद्रप्रस्थ की महारानी द्रौपदी दोनों ही अपने माता पिता की वास्तविक संतान नहीं थी। पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार माता सीता राजा जनक को खेत में हल चलाते हुए धरती के भीतर से मिली थी और निसंतान राजा जनक ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर लिया था। वहीं द्रौपदी को भी राजा द्रुपद ने यज्ञ के माध्यम से प्राप्त किया था, वो यज्ञ की अग्नी से अपने भाई के साथ उत्पन्न हुई थी। दोनों ही नारियों ने मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया था।


दोनों ही नारियों के जीवन साथी स्वयंवर के बाद मिले। जहां रामायण में भगवान श्री राम को धनुष पर प्रत्यंचना चढ़ाना पड़ा था वहीं महाभारत के नायक अर्जुन को द्रौपदी से विवाह करने के लिए धनुष बाण से मछली के आंख पर निशाना लगाना पड़ा।
रामायण और महाभारत काल दोनों में ही नायिका अपनी पत्नी के साथ वनवास जाती है। वनवास के दौरान मां सीता का हरण हो जाता है वहीं द्रौपदी के साथ भी ऐसी ही घटना घटित होती है। जयद्रथ उसका अपहरण कर लेता है, लेकिन पांडव जयद्रथ से द्रौपदी को बचा लेते हैं।
दोनों ही स्त्रियां ने अपने पिता के घर से विदा होकर महान राज घराने की बहू बनी। लेकिन इसके बावजूद भी दोनों ने कष्टों से भरा जीवन वन में व्यतीत किया।
रामायण में जहां माता सीता को रावण के पास लगभग 2 वर्ष व्यतीत करने के बाद अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था। वहीं द्रौपदी के पांच पति होने के बाद उनके चरित्र पर शंका की जाती है। जबकि माता सीता सर्वश्रेष्ठ पत्नी मानी जाती हैं तथा द्रौपदी का नाम पंच कन्याओं और पांच पतिव्रता स्त्रियों में शामिल किया गया है। मां सीता औऱ द्रौपदी को सती सावित्री की तरह ही माना जाता है।

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