इंदौर, संजीव मालवीय। उपुचनाव (bye-election) में प्रदेश (state) में एक सीट छोडक़र भाजपा (BJP) ने तीन सीटों पर झंडे गाड़ दिए, लेकिन इससे शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) के गण और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की परीक्षा भी हो गई है, जिसमें विजय शाह और जगदीश देवड़ा (Vijay Shah, Jagdish Deora) जैसे नेता अपनी पार्टी को वोट दिलाने और चुनावी रणनीति बनाने में नाकामयाब नजर आए। वहीं तुलसी सिलावट (Tulsi Silavat) पॉवरफुल मंत्री के रूप में उभरकर सामने आए हैं। खंडवा (Khandwa) की आठों विधानसभा (Vidhan Sabha) में केवल नेपानगर (Nepanagar) ही ऐसी रही, जहां भाजपा (BJP) को 35 हजार से अधिक वोट मिले हैं।
इस चुनाव से भले ही वर्तमान शिव सरकार पर कोई असर नहीं पडऩे वाला है, लेकिन यह तो साबित हो गया है कि लोगों को अभी भी भाजपा (BJP) में विश्वास है। महंगाई का मुद्दा गौण साबित हो गया और लोगों को लग रहा है कि भाजपा (BJP) अभी भी कुछ कर सकती है। खैर, भाजपा (BJP) की रणनीति की बात की जाए तो वह कामयाब रही और संगठन का खासा असर भी देखा गया, लेकिन मंत्रियों की परफॉर्मेंस की बात की जाए तो दो बड़े मंत्री रणनीति में पिछड़ गए। मंत्री तुलसी सिलावट (Tulsi Silavat) के पास नेपानगर (Nepanagar) का प्रभार था। सिलावट जवाबदारी मिलने के बाद वहीं थे और करवाचौथ जैसे मौके पर भी घर नहीं आए। मंत्रालय के काम भी वे वहीं से निपटा रहे थे। इसका परिणाम यह हुआ कि यहां से ज्ञानेश्वर पाटिल (Gyaneshwar Patil) को 97 हजार 673 वोट मिले, जो पुरनी से 35 हजार 217 अधिक थे। हालांकि आठों विधानसभा में सर्वाधिक वोट 1 लाख 2 हजार 403 बुरहानपुर से मिले, जहां मंत्री इंदरसिंह परमार और गोपी नेमा को प्रभारी बनाया गया था।
मांधाता और भीकनगांव में पिछड़े
मांधाता की जवाबदारी विजय शाह (Vijay Shah) और कविता पाटीदार (Kavita Patidar) के पास थी। यहां से वे पाटिल को मात्र 56 हजार 184 वोट ही दिला पाए, जबकि 64 हजार 671 वोट पुरनी को मिले। यहां से भाजपा को 8 हजार 487 वोट का नुकसान हुआ। वहीं भीकनगांव (Bhikangaon) सीट की जवाबदारी मंत्री जगदीश देवड़ा और जीतू जिराती (Jitu Jirati,Jagdish Deora) के पास थी। यहां से भी भाजपा को नुकसान हुआ और उसे कांग्रेस (Congress) से 2 हजार 964 वोट कम मिले। दोनों ही स्थानों से 10 हजार से अधिक वोटों का नुकसान हुआ, जबकि विजय शाह (Vijay Shah) तो खंडवा (Khandwa) के स्थानीय ही थे।
प्रदेश के दोनों इंदौरी नेता भी फेल
खंडवा (Khandwa) में भाजपा (BJP) की प्रदेश महामंत्री और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कविता पाटीदार मांधाता में सहप्रभारी थीं और प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती (Jitu Jirati) को भीकनगांव में सहप्रभारी बनाया गया था, लेकिन दोनों इंदौरी नेता अपने-अपने प्रभार वाले जिले से भाजपा प्रत्याशी को जिताने में फेल हो गए। मांधाता में तो भाजपा के ही विधायक थे, जबकि भीकनगांव में कांग्रेस की झूमा सोलंकी थीं।
अन्य विधानसभाओं में मिले वोट
खंडवा Khandwa) में कमल पटेल थे, जहां से 4 हजार 869 वोट अधिक मिले तो बागली में मंत्री उषा ठाकुर (Usha Thakur) को जवाबदारी दी गई थी। यहां से भाजपा (BJP) प्रत्याशी को 11 हजार 208 वोट ज्यादा मिले। पंधाना में 4801, बड़वाह में 21 हजार 45 वोट पाटिल को ज्यादा मिले। बड़वाह (Barwah) में सचिन बिरला (Sachin Birla) के आने से लग रहा था कि यहां विरोध होगा, लेकिन 21 हजार से अधिक वोट आने के बाद यह बात कोरी अफवाह साबित हो गई।
जोबट में एक बार फिर मेंदोला ने जलवा दिखाया
जीत के रणनीतिकार इंदौरी विधायक रमेश मेंदोला (MLA Ramesh Mendola) ने एक बार फिर जोबट में अपना जलवा दिखाया। इसके पहले भी उन्हें कई बार उपचुनाव की जवाबदारी दी गई और वे अपनी कुशल रणनीति से हर बार भाजपा के उम्मीदवार को जिताकर लाए हैं।
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