श्रीनगर । मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Chief Minister Omar Abdullah)की कैबिनेट (Cabinet)ने अपनी पहली बैठक में जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा (Statehood of Jammu and Kashmir)बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूरी (approve the proposal)दे दी है, लेकिन विशेष दर्जे की बहाली पर चुप्पी साध ली है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के विरोधियों ने इसके लिए भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है। एक सूत्र ने कहा, “मसौदा तैयार हो गया है और सीएम इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपने के लिए कुछ दिनों में नई दिल्ली जाएंगे और उनसे राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह करेंगे।”
उमर के सहयोगी और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी तब तक कैबिनेट में शामिल नहीं होगी जब तक कि राज्य का दर्जा वापस नहीं आ जाता। वहीं, पीडीपी के युवा अध्यक्ष और पुलवामा के विधायक वहीद पारा ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “उमर अब्दुल्ला का राज्य के दर्जे पर पहला प्रस्ताव 5 अगस्त, 2019 के फैसले के समर्थन से कम नहीं है। अनुच्छेद 370 पर कोई प्रस्ताव नहीं है। मांगों को केवल राज्य के दर्जे तक सीमित करना एक बड़ा झटका है। इन्होंने अनुच्छेद 370 को बहाल करने के वादे पर जनता से वोट मांगा था।”
बारामुल्ला के सांसद इंजीनियर राशिद ने उमर अब्दुल्ला पर भाजपा के हाथों में खेलने का आरोप लगाया। आपको बता दें कि इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने राशिद को भाजपा का मोहरा करार दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि वोटों को विभाजित करने के लिए अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। अब, राशिद ने आरोप लगाया कि एनसी ने अपनी 42 सीटें इसलिए जीतीं क्योंकि उसे भाजपा से रणनीतिक मदद मिली।
रशीद ने कहा, “एनसी ने अनुच्छेद 370 के खिलाफ लड़ाई का वादा किया है, लेकिन उमर केवल राज्य का दर्जा बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करके मुख्य मुद्दों से भटक रहे हैं।” सांसद ने कहा कि चूंकि पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही राज्य का दर्जा देने का वादा कर चुके हैं, इसलिए इस मुद्दे पर जोर देते हुए बाकी दूसरे मुद्दों को नजरअंदाज करना नए सीएम द्वारा विश्वासघात के समान है।
रशीद ने दावा किया कि उमर ने हाल ही में विशेष दर्जा बहाल करने की बात कही थी। रशीद ने कहा, “मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अगर तब तक बीजेपी सत्ता में रहती है तो क्या कश्मीरियों को 100 साल तक इंतजार करना चाहिए।”
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने तर्क दिया कि प्रस्ताव कैबिनेट के बजाय विधानसभा में पारित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, “मेरी जानकारी के अनुसार राज्य का दर्जा या अनुच्छेद 370 जैसे प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने के लिए विधानसभा ही उचित संस्था है। जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा विधानसभा में झलकती है, कैबिनेट में नहीं। कैबिनेट एक बहुसंख्यक संस्था है।”
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