गुना। गुना जिले के जिस गांव में शादी की शहनाई (the clarinet)बज रही थीं। वहां अब सन्नाटा फैला है, वहीं मातम पसरा हुआ है। घर माटी के ढेर में तब्दील (house turned into a pile of soil) हो चुके है तो पुलिस की सायरन बजाते वाहन लगातार घूम रहे है। पुलिस को तलाश है, उन शेष हत्यारों (killers) की जिन्होने महज दवात उड़ाने की मंशा के चलते तीन पुलिसकर्मियों की लाशें बिछाने से भी गुरेज नहीं किया। इसके लिए पुलिस गांव में धरपकड़ करने में लगी है। इसी धरपकड़ के दौरान यह छिपा सच भी सामने आया है कि यह गांव बदमाशों का गढ बन चुका था। यह के नट मुसलमान जानवरों की तस्करी के साथ अन्य अपराधों में भी लिप्त है।
फैल रहीं है अफवाहें
घटना के बाद से अफवाहों का दौरे भी चल निकला है। मसलन मुठभेड़ में एक शिकारी को मारने के बाद देर शाम पुलिस द्वारा उनके गांव जिले के राघौगढ़ थानातंर्गत दी गई दबिश के दौरान एक और शिकारी को ढेर कर चुकी है। खुद नवनियुक्त आईजी ड़ी श्रीनिवास वर्मा ने देर रात्रि पत्रकारों से चर्चा करते हुए यह साफ किया था कि दो शिकारियों नौशाद और उसके भाई शहजाद को मारने के साथ दो आरोपियों शानू खाँन एवं मोहम्मद खाँन को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही शेष फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है। रविवार शाम को पुलिस की ओर से प्रेस को जारी बयान में भी यहीं कहा गया, किन्तू रात से लेकर अब तक चार शिकारियों के मारे जाने की अफवाह सोशल मीडिया के माध्यम से उड़ती रही। इतना ही नहीं, पुलिस अधीक्षक गुना राजीव कुमार मिश्रा को हटाने की चर्चाएं भी चलतीं रहीं।
पहाड़ी पर छिपे थे बदमाश पुलिस को देखकर चलाईं गोलियां
तीन जवानों की शहादत के बाद सरकार की ओर से फ्री हैंड मिलने पर पुलिस ने बदमाशों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बीते रोज इधर शहीद जवानों का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो दूसरी ओर पुलिस बदमाशों को निपटाने में जुट गई थी। पहले उनकी पहचान कर बिदौरिया स्थित उनके घरों पर बुलडोजर चलाया गया। फिर आसपास क्षेत्र में उनकी तलाश में सर्चिंग की गई। भारी पुलिस बल क्षेत्र में उतर चुका था। इसी दौरान आरोपितों के एक पहाड़ी पर होने की सूचना मिली। जिस पर पुलिस ने दबिश दी तो बदमाशों ने गोलियां चलानी शुरु दी गईं। बदमाशों ने कई राउंड गोलियां चलाईं। पुलिस ने भी जवाबी गोलियां चलाईं। जिसमें एक बदमाश शहजाद की मौत हो गई, वहीं दो बदमाश शानू और मोहम्मद खांन पकड़े गए। अन्य आरोपी भाग गए। इस मुठभेड़ के दौरानं धीरेंद्र गुर्जर नाम का पुलिसकर्मी घायल हो गए।
शिकारी विक्की और गोलू सहित अन्य आरोपी फिलहाल फरार है। जिनकी तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही है।
बिना तैयारी के पहुँची पुलिस
इस पूरे मामले में यह भी सामने आया है कि पुलिस बिना किसी अतिरिक्त तैयारी के जंगल में शिकारियों को पकडऩे पहुँच गई थी, जबकि उसे पता होना चाहिए था कि जब शिकारी शिकार कर रहे है तो उनके पास हथियार भी होंगे। इसके बाद भी तीन पुलिसकर्मी पहुँचे और उनके पास भी हथियारों के नाम पर उप निरीक्षक राजकुमार जाटव के पास सर्विस रिवाल्वर और आरक्षक संतराम के पास इंसास राइफल थी। आरक्षक की राइफल अब तक नहीं मिली है, हालांकि मामले में यह भी सामने आ रहा है कि पुलिसकर्मियों को भी यह आशंका नही थी कि उनके ललकारने पर बदमाश सीधे उन पर गोलीबारी शुरु कर दें। वह भी उन्हे मारने के इरादे से। यह इससे भी साफ होता है कि तीनों पुलिसकर्मियों को कमर से ऊपर गोलियां लगीं है।
सूत्र बताते है कि आरोन से लगे इन जंगलों में जंगली जानवरों का शिकार होता रहता है। पुलिस और वन विभाग की टीम इनकी धरपकड़ भी करती है, किन्तु यह कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए होती है। कड़ी कार्रवाई नहीं होने के चलते शिकार का यह सिलसिला रुक नहीं पा रहा है। सूत्र यह भी बताते है कि शिकार के साथ ही जानवरों की खाल और सिंग की भी तस्करी की जाती है।
वन विभाग की भूमिका पर उठ रहे सवाल
इस पूरे मामले में वन विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे है। दरअसल पूरा मामला वन विभाग से ही जुड़ा है। यह तो सर्वविदित है कि आरोन से लगे इन जंगलों में बड़े पैमानों पर शिकार किया जाता है। वन विभाग को इसको लेकर शिकायतें भी की गईं, किन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे शिकारियों को हौंसले बुलंद होते चले गए। अगर समय रहते ही वन विभाग अपनी भूमिका का जिम्मेदारी पूर्वक निवर्हन करता और शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती तो इतनी दुखद घटना सामने नहीं आती। वन विभाग की लापरवाही यह भी है कि जब इतनी बड़ी घटना सामने आ गई। तब भी वन विभाग का कोई वरिष्ठ अधिकारी समय रहते मौके पर नहीं पहुँचा। इतना ही नहीं, अब जबकि घटना को 48 घंटे होने को आए और पुलिस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है, तब भी वन विभाग की ओर से कोई सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है।
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