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सीकर का ऐतिहासिक जीणमाता मंदिर, तोड़ने पहुंची औरंगजेब की सेना को चमत्कार देख भागना पड़ा था

  • February 18, 2025

    सीकर। राजस्थान (Rajasthan) के सीकर जिला मुख्यालय (Sikar District Headquarters) से लगभग 30 किलोमीटर दूर जीण माता का प्राचीन मंदिर (Ancient temple of Jeen Mata) मौजूद है. यह मंदिर ऐतिहासिक है. जीण माता (Jeen Mata) को माता दुर्गा का अवतार (Incarnation of Mother Durga.) माना जाता हैं. घने जंगल से घिरा हुआ जीण माता का मंदिर तीन छोटे पहाड़ों के संगम पर स्थित है. जीण माता का यह मंदिर बहुत प्राचीन शक्तिपीठ है. खास बात यह है कि माता का ये मंदिर दक्षिण मुखी है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब औरंगजेब की सेना मंदिर तोड़ो नीति के तहत इसे तोड़ने पहुंची तो माता ने अपना चमत्कार दिखा दिया जिससे औरंगजेब की सेना भाग खड़ी हुई।


    जीण माता को माना जाता है शक्ति का अवतार
    चौहान चन्द्रिका नामक पुस्तक में जीण माता को शक्ति का अवतार और उनके भाई हर्ष को भगवान शिव का अवतार माना गया है. स्थानीय लोक मान्यताओं के अनुसार दोनों बहन भाइयों में बहुत प्रेम था, लेकिन किसी बात पर दोनों में मनमुटाव हो गया. तब जीण माता यहां आकर तपस्या करने लगीं. पीछे-पीछे हर्षनाथ भी अपनी लाड़ली बहन को मनाने के लिए आए, लेकिन जीण माता जिद करने लगीं साथ जाने से मना कर दिया. इससे हर्षनाथ का मन बहुत उदास गया और वे भी वहां से जाकर वहां पर तपस्या करने लगे. दोनों भाई बहन के बीच हुई बातचीत का वर्णन आज भी राजस्थान के लोक गीतों में मिलता है. भगवान हर्षनाथ का भव्य मंदिर आज राजस्थान की अरावली पर्वतमाला में स्थित है.

    औरंगजेब ने भी माता के सामने टेक दिए थे घुटने
    एक जनश्रुति के अनुसार, देवी जीण माता ने सबसे बड़ा चमत्कार मुगल बादशाह औरंगजेब को दिखाया था. औरंगजेब ने शेखावाटी के मंदिरों को तोड़ने के लिए विशाल सेना भेजी थी. यह सेना हर्ष पर्वत पर शिव व हर्षनाथ भैरव मंदिर को खंडित कर जीण मंदिर को खंडित करने आगे बढ़ी. तब जीण ने अपनी सेना भँवरे (बड़ी मधुमखियों) को सेना पर आक्रमण के आदेश दिए. जिनके आक्रमण से औरंगजेब की सेना भाग खड़ी हुई. कहते हैं तब औरंगजेब ने माता के मंदिर में जाकर क्षमा याचना मांगी और अखंड दीप के लिए सवामण तेल प्रतिमाह दिल्ली से भेजने का वचन दिया।

    आज तक जल रही है अखंड ज्योत
    औरंगजेब के द्वारा भेजे गए तेल की अखंड ज्योत आज भी जल रही है. माता के लिए पहले ये तेल कई वर्षों तक दिल्ली से आता रहा फिर दिल्ली के बजाय जयपुर से आने लगा. बाद में जयपुर महाराजा ने इस तेल को मासिक के बजाय वर्ष में दो बार नवरात्रों के समय भिजवाना आरम्भ कर दिया. राजशाही व्यवस्था खत्म होने के बाद भक्तों द्वारा माता को अखंड ज्योत के लिए तेल भेंट किया जाता है. यह अखंड ज्योत 24 घंटे जलती रहती है।

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