उज्जैन। शहर के मध्य स्थित चामुण्डा माता मंदिर में देवी की चमत्कारिक प्रतिमा अनादिकाल से है तथा यह स्वयंभू प्रकट हुई थी। राजतंत्र के दौरान यहाँ राजा विक्रमादित्य से लेकर ग्वालियर घराने तक तथा उसके बाद अब शासन की ओर से नगर पूजा में करवाई जाती है। चामुण्डा माता के दरबार में जिला अस्पताल में भर्ती बीमार से लेकर सभी तरह के भक्त दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मुराद पूरी कर जाते हैं। यह कहना है मंदिर के शासकीय पुजारी सुनील चौबे का जो पिछले 35 वर्षों से चामुण्डा माता की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्राचीन चामुण्डा मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार होता रहा है। मंदिर की परिक्रमा में नौ देवियाँ स्थापित है।
यहाँ सिंहस्थ 2016 से रोजाना 1 हजार से 1200 लोगों तक को भोजन प्रसादी उपलब्ध कराई जा रही है। चामुण्डा माता भक्त समिति के 800 सदस्य स्वयं इसका खर्च उठाते हैं। यहाँ किसी भी तरह के आयोजन के लिए चंदा नहीं किया जाता। नवरात्रि की प्रत्येक पंचमी तथा नववर्ष के पहले दिन माता को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं, वहीं शरद पूर्णिमा पर खीर प्रसादी का वितरण होता है तथा कन्या भोज के साथ हर पर्व का समापन होता है। कोरोना के चलते पिछले दो सालों से चलित कन्या भोज के आयोजन रखे गए थे। इस बार भी नवरात्रि के समापन पर यही व्यवस्था रहेगी। भोजन प्रसादी के अलावा नवरात्रि पर्व के दौरान लगातार 9 दिन दर्शनार्थियों को रोजाना फरियाली खिचड़ी और खीर का वितरण भी किया जा रहा है। सेवा में भक्त मंडल के सदस्य दिनरात लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर में सभी तरह की मुराद लेकर हर तरह के भक्त आते हैं लेकिन नजदीक संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल होने के कारण यहाँ भर्ती मरीजों के परिजन उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना लेकर आते हैं और माता के आशीर्वाद से उनकी मुराद पूरी भी होती है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved