नई दिल्ली । हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, हर महीने में दो पक्ष आते हैं। इसमें एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष है। कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को भगवान शंकर (Lord Shiva) की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat ) रखा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से जातक की सभी मनोकामना पूरी होती है। इस व्रत को रखने वाले व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शुक्र प्रदोष व्रत आज-
हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 मई 2022, शुक्रवार को है। इसलिए शुक्र प्रदोष व्रत 13 मई को रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि 13 मई को शाम 05 बजकर 27 मिनट से शुरू होगी, जो कि 14 मई शनिवार को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त 2022-
भगवान शंकर की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 04 मिनट से रात 09 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। सिद्धि योग दोपहर 03 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत महत्व-
इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा का भी विधान है। कहते हैं भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से पाप तो मिटते ही है साथ ही मोक्ष भी प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
शुक्र प्रदोष व्रत की कथा
कहा जाता है कि क नगर में तीन मित्र रहते थे। राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे। धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकि गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है। धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्नी को लाने का निश्चय कर लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं। ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया। ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो ज़िद पर अड़ा रहा और कन्या के माता पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद ति-पत्नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई।
दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे। कुछ दूर जाने पर उनका पाला डाकूओं से पड़ा। जो उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहूंचे। वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा। जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। और कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें। धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया जहां उसकी हालत ठीक होती गई। यानि शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए।
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