– सुरेन्द्र किशोरी
लोग सोचते हैं कि बड़े पदों पर बैठी महिलाएं सिर्फ बड़े परिवार की ही होती होंगी, लेकिन ऐसा हरगिज जरूरी नहीं। सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने वाली कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने अभावों के बीच रहकर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। किताब खरीदने तक के पैसे नहीं थे, लेकिन आज हर किसी के लिए मिसाल बनी हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम जिस महिला की चर्चा कर रहे हैं, वे भारत के ऊर्जा क्षेत्र के सबसे बड़े उपक्रम इंडियन ऑयल की निदेशक (रिफाइनरीज) शुक्ला मिस्त्री हैं।
देश के किसी भी रिफाइनरी की पहली और एकमात्र महिला प्रमुख बन आईओसी बोर्ड में पहली महिला निदेशक बनीं शुक्ला मिस्त्री का जन्म 1964 में पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिला के सुंदरवन इलाका स्थित बसंती गांव में गरीब परिवार खिरोद मिस्त्री के घर हुआ। बसंती गांव एक द्वीप है जो हर साल बारिश के मौसम में बाढ़ग्रस्त रहता है, नाव के अलावा वहां तक पहुंचने का कोई माध्यम नहीं था। बिजली, सड़क और महाविद्यालय आदि नहीं थे। गांव में केवल दो स्कूल थे, एक प्राथमिक और दूसरा माध्यमिक। आगे के अध्ययन के लिए शहर जाना होता था। बिजली और संचार के अभाव में उन्होंने पढ़ाई के लिए काफी संघर्ष किया। दो छोटे भाई थे, बिना किसी ट्यूशन के गांव के स्कूलों में पढ़ाई और पढ़ाई के लिए मिट्टी के दीपक का इस्तेमाल करती थी। 1979 में दसवीं कक्षा की परीक्षा के बाद चाचा के घर कोलकाता गई और दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंकों के कारण कोलकाता के प्रतिष्ठित कॉलेज लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज में दाखिला लिया।
पिता की खराब आर्थिक स्थिति के कारण रिश्ते के चाचा द्वारा दी गई आर्थिक मदद से शुक्ला मिस्त्री ने आगे की पढ़ाई पूरी की। 1981 में बारहवीं कक्षा पास करने के बाद संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई करने का मौका मिला तथा हावड़ा के बीई कॉलेज शिवपुर के मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। 1985 में इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने आईआईटी खड़गपुर में एम. टेक में दाखिला लिया। लेकिन इंडियन ऑयल में नौकरी मिलते ही आगे की पढ़ाई छोड़ दी, क्योंकि लक्ष्य परिवार और भाइयों की देखभाल करना तथा उनकी मदद करना था। परिवार का ख्याल रखते हुए दोनों भाइयों की पढ़ाई, उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के साथ अपने गांव की पहली इंजीनियर बनीं। इंजीनियरिंग के साथ-साथ आईसीएफएआई से व्यवसाय प्रबंधन में एडवांस डिप्लोमा तथा औद्योगिक रेडियोग्राफी और अल्ट्रासोनिक गैर-विनाशकारी परीक्षण में प्रमाणपत्र भी हासिल किया।
शुक्ला मिस्त्री ने 1986 में ग्रेजुएट इंजीनियर (ट्रेनी) के रूप में इंडियन ऑयल ज्वाइन किया और निरीक्षण इंजीनियर के रूप में हल्दिया रिफाइनरी से अपने करियर की शुरुआत की। निरीक्षण विभाग, इंजीनियरिंग सर्विसेज विभाग और बाद में इंडियन ऑयल की विभिन्न परियोजनाओं में काम किया। उन्होंने हल्दिया, पानीपत और बरौनी रिफाइनरियों में ब्राउन फील्ड से लेकर ग्रीन फाइलेड प्रोजेक्ट्स में काम किया, जो प्रकृति में छोटे से लेकर मेगा तक विविध थे। अपने कार्य क्षमता की बदौलत करियर में तेजी से आगे बढ़ते हुए महाप्रबंधक बन गई। एक जनवरी 2018 से सात फरवरी 2019 तक एशिया की सबसे पुरानी ऑपरेटिंग रिफाइनरी असम के डिगबोई रिफाइनरी का नेतृत्व किया। इसके बाद बरौनी रिफाइनरी की कार्यपालक निदेशक और रिफाइनरी प्रमुख बन गई तथा पांच फरवरी 2022 तक नेतृत्व करते हुए विस्तारीकरण परियोजना को गति देती रही।
शुक्ला मिस्त्री ना केवल इंडियन ऑयल में बल्कि, भारतीय हाइड्रोकार्बन उद्योग में पहली महिला निरीक्षण इंजीनियर हैं। निर्माण और कमीशनिंग के कठिन समय के दौरान कतर की परियोजनाओं में काम करने वाली पहली भारतीय महिला इंजीनियर भी हैं। 24X7 पारियों में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियरों में से एक थीं और ना केवल महिला अधिकारियों के लिए, बल्कि उनके पुरुष सहयोगियों के लिए भी आदर्श बन गई। संगठन कौशल के साथ उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के विभिन्न कठिन पोस्टिंग में काम किया। निरीक्षण एवं परियोजना प्रबंधन में भारत और विदेशों में कई रिफाइनरियों में कौशलता से चुनौतीपूर्ण कार्य संभाला है। कतर में अत्यंत कठिन परिस्थितियों में परियोजना निष्पादन स्थल पर काम करना, भारत की महिलाओं के लिए ग्लास सीलिंग को तोड़ना था। शुक्ला मिस्त्री एकमात्र भारतीय महिला थी जिन्हें तीन अप्रैल 2004 से 31 मार्च 2006 तक कतर पेट्रोलियम (कतर में) और मार्च 2002 में अमीरात नेशनल ऑयल कंपनी (दुबई) में मेगा लीनियर अल्कलाइन बेंजीन परियोजना के निष्पादन और प्लांट टर्नअराउंड निरीक्षण के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था।
कतर में इराक, पाकिस्तान, मिस्र, ट्यूनीशिया आदि के 80 पदाधिकारियों और दो हजार अनुबंध कर्मियों के साथ एकल महिला के रूप में काम किया। विश्व पेट्रोलियम कांग्रेस और सीईआरए (सेरा) वीक (यूएसए) जैसे प्रतिष्ठित सम्मेलनों में भी उनकी सक्रिय भागीदारी रही है। तेल और गैस उद्योग में सुश्री मिस्त्री के समृद्ध योगदान, इंडियन ऑयल एवं इंडियन हाइड्रोकार्बन इंडस्ट्री में तकनीकी कौशलता एवं योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। जिसमें से कुछ प्रमुख ईटी प्राइम वुमन मैन्युफैक्चरिंग एंड ऑपरेशंस लीडरशिप अवार्ड-2021, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा पेट्रोफेड बेस्ट वुमन एग्जीक्यूटिव अवार्ड-2000, पीएसई के बीच उत्कृष्ट महिला प्रबंधक के लिए स्कोप एक्सीलेंस अवार्ड 2016-17, पेट्रोटेक ओजस्विनी अवार्ड-2016, औद्योगिक परियोजनाओं के लिए 2015 में डन एंड ब्रैडस्ट्रीट अवार्ड तथा पेट्रोफेड बेस्ट वुमन एक्जीक्यूटिव अवार्ड-2009 इत्यादि है।
शुक्ला मिस्त्री देश-विदेश की महिलाओं के लिए प्रेरक व्यक्तित्व ही नहीं, एक उत्साही खेलप्रेमी भी हैं। टेनिस एवं बैडमिंटन खेलने में उनकी गहरी दिलचस्पी है और पीएसपीबी स्तर पर खेल चुकी हैं। कुल मिलाकर कहें तो शुक्ला मिस्त्री ना केवल एक कुशल प्रबंधक हैं, बल्कि वो एक अच्छी वक्ता और सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ प्रेमभाव से काम कर हमेशा देश को आगे बढ़ाने में लगी हुई हैं। बरौनी रिफाइनरी जब पेट्रोकेमिकल के क्षेत्र में कदम रख रहा था तो वह इस विस्तारीकरण परियोजना को लेकर लगातार क्रियाशील रहीं। शुक्ला मिस्त्री ने 07 फरवरी 2022 को ‘फॉर्च्यून 500’ वैश्विक सूची में भारत की सर्वोच्च रैंक वाले ऊर्जा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम इंडियन ऑयल के निदेशक (रिफाइनरीज) का पद संभाला है। इंडियन ऑयल बोर्ड में फंक्शनल डाइरेक्टर का पदभार संभालने वाली पहली महिला शुक्ला मिस्त्री हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
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