नई दिल्ली(New Delhi) । प्रसिद्ध सिविल सेवा परीक्षा ट्यूटर शुभ्रा रंजन (Shubhra Ranjan)ने शनिवार को एक बयान जारी(Statement issued) कर उन आरोपों पर टिप्पणी (Comments on allegations)की कि उन्होंने कथित तौर पर भगवान राम की तुलना मुगल सम्राट अकबर से की है। सोशल मीडिया पर उनके लेक्चर की एक क्लिप के व्यापक प्रसार के बाद यह आरोप लगाया गया था कि यूपीएससी सीएसई की कोचिंग देने वाली शुभ्रा रंजन ने दावा किया था कि मुगल सम्राट अकबर भगवान राम से अधिक शक्तिशाली थे। उनके इस कथित बयान से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची।
शुभ्रा रंजन ने अपने बयान में कहा, “मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो मैं माफी मांगती हूं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस वीडियो पर चर्चा हो रही है, वह उनके बड़े लेक्चर का एक छोटा सा हिस्सा मात्र है। उन्होंने कहा, “पूरा वीडियो लेक्चर देखने से आप समझ सकते हैं कि मेरा इरादा यह बताना था कि प्रभु श्री राम का राज्य एक आदर्श राज्य था।”
She is UPSC coach @ShubhraRanjan.
She is comparing Bhagwan Shri Ram with Mughal Islamic Invader Jalaluddin Akbar.
This is totally unacceptable.
She should apologize and stop making such comparisons in her lectures. pic.twitter.com/1ttPxQK4JZ
— Sunanda Roy 👑 (@SaffronSunanda) July 27, 2024
यह मामला तब और गरम हो गया जब एक एक्स यूजर ने कहा कि उसने इसके लिए साइबर पुलिस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें शुभ्रा रंजन पर ईशनिंदा और हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। एक अन्य एक्स उपयोगकर्ता ने शुभ्रा रंजन की आलोचना करते हुए उन पर भगवान राम की तुलना अकबर से करके यूपीएससी उम्मीदवारों के दिमाग को भ्रष्ट करने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
हालांकि, कुछ इंटरनेट यूजर ने ट्यूटर का समर्थन भी किया। एक यूजर ने कहा, “उन्होंने समझाया कि अकबर ने अपनी नैतिकता खुद परिभाषित की, जबकि श्री राम ने वास्तव में नैतिकता का पालन किया। श्री राम को एक राजा के रूप में विश्लेषित करने में क्या समस्या है?”
— Shubhra Ranjan IAS Study. (@ShubhraRanjan) July 27, 2024
शुभ्रा रंजन ने कहा, “भगवान प्रभु श्री राम भारत की आध्यात्मिक विरासत, सभ्यतागत लोकाचार और सांस्कृतिक इतिहास के सर्वश्रेष्ठ प्रतीक हैं। प्रभु श्री राम और उनके दिखाए मार्ग में हमारी सर्वोच्च श्रद्धा और आस्था है। एक संस्था के रूप में हम और हमारे सभी सदस्य सभी धर्मों के प्रति सर्वोच्च श्रद्धा रखते हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह चर्चा एक तुलनात्मक अध्ययन का हिस्सा थी। साथ ही उन्होंने किसी भी अनजाने गलत व्याख्या के लिए खेद व्यक्त किया।
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