नई दिल्ली: बंगाल बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी को गिरफ्तारी से मिला संरक्षण जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने आज कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत 13 दिसंबर को ही इस मुद्दे पर गहराई से सुनवाई कर चुकी है.
अब हम इस मामले में डिवीजन बेंच के फैसले पर सुनवाई नहीं करेंगे और सुप्रीम कोर्ट का 13 दिसंबर का फैसला ही प्रभावा रहेगा. दरअसल, ममता सरकार की ओर से कहा गया कि 13 दिसंबर को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ सुनवाई हुई थी. अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के खिलाफ अपील की थी. डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के गिरफ्तारी से संरक्षण के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया था.
इससे पहले 13 दिसंबर 2021 को भी पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली थी. अदालत ने बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाईकोर्ट से मिले गिरफ्तारी से संरक्षण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार किया था. अधिकारी को सात केसों में से किसी में भी गिरफ्तार न किए जाने का संरक्षण बरकरार रखने को कहा गया था. कोर्ट ने कहा था कि सरकार चाहे तो हाईकोर्ट में सुनवाई जल्द पूरी करने की याचिका दाखिल कर सकती है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कलकत्ता HC द्वारा शुभेंदु अधिकारी को 2018 में बॉडीगार्ड की मौत व अन्य मामलों में गिरफ्तारी से दी गई ‘अंतरिम राहत’ को चुनौती दी गई थी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने नंदीग्राम विधायक को अदालत की अनुमति के बिना उनके खिलाफ ‘ कठोर कार्रवाई’ से राहत दी है.
अधिकारी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और आरोप लगाया था कि ये केस ‘राजनीति से प्रेरित’ हैं. अपराध जांच विभाग (CID) ने सुवेंदु अधिकारी को उनके निजी सुरक्षा गार्ड सुभब्रत चक्रवर्ती की अप्राकृतिक मौत की जांच से संबंधित एक मामले के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया था, जिन्होंने 2018 में एक पुलिस बैरक में अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी.
इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की पीठ ने साफ कर दिया कि शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ तीन मामलों कांथी में बॉडीगार्ड की मौत, नंदीग्राम में जुलूस और तमलुक में एसपी अधिकारी को लेकर हुए मामले में सिंगल बेंच का फैसला प्रभावी रहेगा.
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