सिरोंज। आरोन रोड स्थित सिद्ध बाबा शांतिवन आश्रम पर 72 घंटे का श्री रामचरित मानस अखंड महायज्ञ भंडारे के साथ संपन्न हुआ। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया। श्री रामचरितमानस अखंड महायज्ञ का आयोजन समिति के संरक्षक महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 मनी महेश दास महाराज के नेतृत्व में जनसहयोग से करवाया गया था। यज्ञ आचार्य पंडित वृंदावन शास्त्री ने अन्य आचार्यों के सहयोग से लगातार 72 घंटे दिन और रात्रि में लगातार संचालित किया। शास्त्री ने बताया कि यज्ञ कम समय में अधिक आहुतियां छोडऩे का महायज्ञ था। जिसमें 24 जोड़ों को आचार्यों ने वेद मंत्रों के साथ यज्ञ सफल कराया। जिसमें एक जोड़े ने 3 घंटे तक आहुति छोड़ी। हालांकि क्षेत्र में ऐसा महायज्ञ पहली बार हुआ है जिसमें लगातार यज्ञ संचालित होता रहा। वही यज्ञ के समापन अवसर पर वृंदावन से आए महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 प्रयाग दास महाराज ने भक्तों को बताया की हवन- यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं।
यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि श्री रामचरितमानस महायज्ञ से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्री रामचरितमानस महायज्ञ से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। धार्मिक आयोजनों से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। उहोंने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। प्रसाद हर धार्मिक आयोजन या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी ‘भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। समापन मंगलवार को दिन में पूर्णाहुति के साथ हवन एवं रात्रि को भंडारा कराया गया। जिसमे मुख्य यजमान रिटायर्ड शिक्षक हरि नारायण सोनी, वीरेंद्र रघुवंशी, भारत सिंह रघुवंशी, चित्रेश सोनी, अमृत सिंह, दीपक रघुवंशी सहित गांव, गांव से आए श्रद्धालुओं ने भी हवन में आहुति डाली, इसके बाद बड़ी संख्या में पहुंचे भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की।
नर्वदेश्वर महादेव की हुई प्राणप्रतिष्ठा
गंगा दशहरे के महापर्व पर आश्रम पर भगवान नर्मदेश्वर की प्राण प्रतिष्ठा की गई। श्रीरामचरितमानस अखंड महायज्ञ की पूर्णाहुति से पूर्व भगवान नर्वदेश्वर की पूजन अर्चन कर प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई। इस दौरान कलश स्थापना के साथ वेदी पूजन, पंचांग पूजन, जलाधिवास, घृताधिवास सहित विविध अनुष्ठान के साथ प्राणप्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न हुआ। नर्मदेश्वर महादेव, शिखर कलश का प्राण प्रतिष्ठा पूरे विधि विधान के साथ वृंदावन से पधारे आचार्य पंडित वृंदावन शास्त्री के द्वारा सम्पन्न कराया गया। इस दौरान नर्मदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक एवं दिव्य श्रृंगार के साथ पूर्णाहुति, हवन एवं विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया जहां प्रसाद लेने हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े।
यज्ञ के दौरान महंत की मिली उपाधि –
यज्ञ के दौरान बड़ी संख्या में पहुंचे साधु महात्माओं ने संत केसरी लाला दास महाराज को रामकृष्ण मालवा मंडल मल्हारगढ़ के अध्यक्ष ने प्रमाण पत्र देकर महंत की उपाधि से सम्मानित किया। महंत की उपाधि मिलने के बाद श्रद्धालुओं ने महंत केसरी लाला दास महाराज कहार पुष्प मालाओं से स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान बड़ी संख्या में साधु संत मौजूद रहे। केसरी लाला दास महाराज ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि हमारे गुरु महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 प्रयाग दास जी महाराज के नेतृत्व में यह उपाधि दी गई है। यह उपाधि धार्मिक अनुष्ठान एवं कार्यपद्धती के अनुरूप दी जाती है।
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