संभल. यूपी (UP) के संभल जिले में स्थित शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid) के वीडियो-फोटोग्राफी (Video-photography) सर्वे पर माहौल गरमा गया है. दरअसल, हिंदू पक्ष का दावा है कि ये मस्जिद नहीं श्रीहरिहर मंदिर (Shri Harihar Temple) है. इसको लेकर कोर्ट (Court) में याचिका लगाई थी, जिसपर सुनवाई के बाद कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दे दिया. बीती रात पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाई गई. इस दौरान मस्जिद के बाहर भीड़ नारे लगाती नजर आई. वहीं, अब इस मसले पर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क (Ziaur Rahman Barq) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
दरअसल, जिस वक्त मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था खुद सपा सांसद भी वहां पहुंच गए थे. उन्होंने मस्जिद के बाहर खड़े होकर मीडिया से बात की. बकौल जियाउर्रहमान बर्क- सुप्रीम कोर्ट के ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ 1991 के आदेश के बावजूद कुछ लोग देश और प्रदेश का माहौल बिगड़ना चाहते हैं. सरकारों को समझना चाहिए कि यह देश मनमर्जी से नहीं बल्कि संविधान और कानून से चलेगा. ध्यान रखें ये मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी. हम नहीं चाहते कि देश का माहौल खराब हो.
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सपा सांसद ने कहा कि ये मस्जिद नई नहीं है, ऐतिहासिक जामा मस्जिद है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जो भी धार्मिक स्थल 1947 से जिस जगह पर हैं, वह अपनी जगह पर कायम रहेंगे. उनके साथ किसी तरह की छेड़खानी या कोई विवाद नहीं उत्पन्न होना चाहिए. ऐसे में कोर्ट के उस आदेश का पालन किया जाए.
जियाउर्रहमान बर्क ने हिंदू पक्ष की तरफ याचिका डालने के सवाल पर कहा कि शहर का माहौल बाहर के लोगों ने रिट दायर कर खराब करने का प्रयास किया है. कोर्ट का आदेश था कि सर्वे कर 7 दिन में रिपोर्ट दी जाए, फिर क्यों इतनी तेजी दिखाई गई. जिस दिन आदेश आया उसी दिन रात में सर्वे शुरू कर दिया. हमें उम्मीद है कि उन्होंने जो सर्वे किया, उन्हें सुई के बराबर एक इंच भी जगह ऐसी नहीं मिल सकती, जिस पर आपत्ति हो.
वहीं, इस पूरे विवाद पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि संभल में श्री हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि कल्कि अवतार संभल में होगा. 1529 में बाबर ने यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी, उसी को लेकर दावा पेश किया गया है.
बकौल विष्णु शंकर जैन- संभल की सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर एडवोकेट कमीशन की सर्वे कार्यवाही शुरू हुई. अभी इसमें काफी चीजें अधूरी रह गई हैं और बहुत सारे फीचर्स की स्टडी होना बाकी है. कोर्ट के आदेश के अनुपालन में यह कार्यवाही अभी आगे बढ़ेगी और इस कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए हम लोग प्रशासन को अब प्रत्यावेदन देंगे.
वकील विष्णु शंकर जैन ने आगे कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि यह नॉन इनवेजिव सर्वे है, इसमें केवल फोटोग्राफर और कैमरामैन अंदर गए थे. इसके अलावा जिला मजिस्ट्रेट और प्रशासन की टीम यहां मौजूद थी, लेकिन मस्जिद कमेटी के लोग बहुत ज्यादा मात्रा में मौजूद थे, जिनके लिए अंदर मौजूद होने की अनुमति नहीं थी. सर्वे के दौरान वे (मुस्लिम पक्ष) लोग भी मौजूद थे. दोनों ही पक्ष सर्वे के दौरान मौजूद थे. दोनों ही पक्षों की मौजूदगी में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी हुई है. कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रशासन की तरफ से जो भी जरूरी कदम थे, वे उठाए गए हैं, लेकिन इसके आगे का काम एडवोकेट कमिश्नर का है.
जामा मस्जिद के सदर क्या बोले?
वहीं, जामा मस्जिद के सदर एडवोकेट जफर अहमद ने बताया कि टीम ने पूरी जामा मस्जिद का सर्वे किया है, जिसमें हम लोग भी उनके साथ मौजूद थे. हमने सहयोग किया है. हम इस केस के प्रतिवादी हैं और हमें इसका नोटिस तामील कराया गया है, लेकिन सर्वे में ऐसी कोई आपत्तिजनक चीज नहीं पाई गई है, जिसमें किसी तरह का कोई संदेह हो. कोर्ट ने जो आदेश दिया था, वह 7 दिन में सर्वे करने का दिया था, लेकिन एडवोकेट कमिश्नर के द्वारा अपनी कुछ मजबूरी बताई गई, इसलिए ही वह अभी सर्वे के लिए आए थे.
संभल के डीएम ने कही ये बात
सर्वे के दौरान मौके पर मौजूद रहे डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि ये सर्वे एडवोकेट कमीशन के द्वारा किया गया है. इसमें मुकदमे के वादी और दूसरे पक्ष के होने वाले प्रतिवादी भी मौजूद थे. हम लोगों ने मौजूद रहकर सुरक्षा उपलब्ध कराई है. एडवोकेट कमिश्नर ने सर्वे किया है, इसके बाद वह अपनी रिपोर्ट न्यायालय में पेश करेंगे. अभी सर्वे पूरा हो गया है, लेकिन भविष्य में उनका सर्वे की आवश्यकता पड़ेगी तो वह कोर्ट में जाएंगे और सर्वे करेंगे.
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