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20 सितंबर को है श्राद्ध पूर्णिमा, जानें महत्‍व व पूजा विधि

September 15, 2021

भाद्रपद पूर्णिमा (bhadrapad purnima) को पूर्णिमा श्राद्ध (purnima sharadha) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से ही पितृ पक्ष (pitru paksha) का आरंभ हो जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा श्राद्ध का बड़ा विशेष महत्व है। इस बार 20 सिंतबर को श्राद्व पूर्णिमा है को है। पूर्णिमा के बाद एकादशी, द्वितीया, तृतीया… अमावस्या श्राद्ध आता है। इसमें हम तिथि के अनुसार अपने पितरों का पिंडदान कर्म (pindaan karam of pitru), तर्पण और श्राद्ध कर्म आदि करते हैं। पितृ पक्ष की अमावस्या को सवृ पितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन उन सभी पितरों का पिंडदान और तर्पण किया जाता है, जिनकी तिथि ज्ञात नहीं होती या भूल चुके होते हैं। आइए जानते हैं पूर्णिमा श्राद्ध का महत्व, पूजा विधि होती है।

भाद्रपद पूर्णिमा तिथि और समय (bhadrapad purnima date and time)
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – सितंबर 20, 2021 को प्रातः 05:30:29 बजे तक
पूर्णिमा तिथि समाप्त – सितंबर 21, 2021 को प्रातः 05:26:40 बजे तक

पूर्णिमा श्राद्ध का महत्व (purnima sharadha importance)
कहते हैं कि इस दिन सत्यनारायण की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में धन आदि की कभी कमी नहीं होती। जो लोग घर में व्रत रखते हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। सारे कष्ट दूर होते हैं। इस दिन मान्यता है कि उमा-महेश्वर का व्रत किया जाता है। कहते हैं भगवान सत्यनारायण ने भी इस व्रत को किया था। इस दिन स्नान और दान आदि का भी विशेष महत्व है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन से पितृ पक्ष का आरंभ होता है, इस कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।


पूजा विधि (purnima sharadha vidhi)
शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा श्राद्ध के दिन गए पितरों का श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है। इस दिन पितरों के निमित तर्पण आदि किया जाता है। पूर्णिमा श्राद्ध के दिन गए पितरों को उसी दिन तर्पण दिया जाता है। उस दिन तस्वीर सामने रखें। उन्हें चन्दन की माला पहना कर, सफेद चंदन का तिलक लगाएं। पूर्णिमा श्राद्ध के दिन पितरों को खीर अर्पित करें। खीर बनाते समय ध्यान रखें कि उसमें इलायची, केसर, शक्कर, शहद मिलाकर बनाएं। इसके बाद गाय के गोबर के उपले में अग्नि जला कर पितरों के निमित तीन पिंड बना कर आहुति दी जाती है। इसके बाद पंचबली भोग लगाया जाता है। गाय, कौआ, कुत्ता, चीटी और देवों के लिए प्रसाद निकालें और फिर ब्राह्मण को भोजन कराएं। इसके बाद स्वंय भोजन करें। ध्यान रखें कि श्राद्ध वाले दिन भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल न करें।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी।

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