उज्जैन। 10 सितंबर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होगी। रामघाट और अन्य घाटों पर इस दौरान लोग पितरों के निमित्त पिंडदान व तर्पण करने के लिए पहुंचेंगे लेकिन घाटों पर न तो पीने के पानी की ही व्यवस्था है और न ही सुरक्षा के माकूल प्रबंध। सुरक्षा नहीं होने के कारण शिप्रा में स्नान करने आने वाले यात्रियों के साथ चोरी की घटनाएं होना आम बात हो गई है। श्राद्ध पक्ष में बाहर से आने वाले लोगों की भी संख्या अधिक रहेगी, इसलिए यहां सुरक्षा की व्यवस्था करना जरूरी है। इसके अलावा भिक्षुकों की भी भीड़ घाटों पर है और ये भिक्षुक घाटों पर आने वाले लोगों के पीछे पड़ते है तथा कई बार विवाद की भी स्थिति सामने आती है। तीर्थ पुरोहित पं. गौरव उपाध्याय का कहना है कि घाटों पर सफाई आदि का काम तो हो रहा है लेकिन रामघाट परिक्षेत्र में आने वाले लोगों विशेषकर तीर्थ यात्रियों के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं है।
इस बार भी ऑनलाइन पूजन के लिए बुकिंग
बीते दो वर्षों के दौरान कोरोना के कारण पिंडदान व तर्पण कराने के लिए श्रद्धालुओं ने पंडितों से ऑनलाइन पूजन कराने का काम किया था। इस बार स्थिति सामान्य है और सोलह श्राद्ध के दिनों में पिंडदान, तर्पण कराने वाले रामघाट व गयाकोठा पर पहुंचेंगे, लेकिन बावजूद इसके बाहरी शहरों के कई लोगों ने पंडितों से ऑनलाइन पूजा कराने के लिए बुकिंग कराई है। पंडितों ने बताया कि भीड़ अधिक रहती है और ऐसे में कई लोग यह चाहते है कि क्यों न घर में ही बैठकर इस तरह की पूजन कराई जाए, इसलिए ऑनलाइन पूजा कराने के लिए उन्होंने हामी भर रखी है। वीडियो कॉलिंग के माध्यम से पंडितों द्वारा ऑनलाइन पूजा कराई जाती है और जो भी दक्षिणा तय होती है वह संंबंधित पंडित के बैंक अकाउंट में यजमान ट्रांसफर कर देते है।
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