उज्जैन। शहर की इंदौर रोड स्थित कालोनी में यहाँ के स्थानीय निवासियों की एक जुटता और पर्यावरण प्रेम के कारण वर्षों से पड़ा एक उजाड़ गार्डन आज हरा भरा हो गया है। इस गार्डन में आसपास की कई कॉलोनी के लोग सुबह शाम यहाँ टहलते हैं और बच्चे झूला झूलने आते हैं।
महाकाल की नगरी में उज्जैन में प्रकृति के प्रति प्रेम और लगन का एक अनूठा उदाहरण देखने को मिला है। प्रकृति का लगाव और रहवासियों की एक जुटता का सुखद परिणाम इंदौर रोड स्थित वार्ड क्रमांक-53 के एक गार्डन में देखा जा सकता है। जो इस समय आसपास के क्षेत्रीय इलाकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहाँ के रहवासियों ने बंजर दिखने वाले गार्डन को अब आदर्श बगीचा बना दिया दिया है। उज्जैन नगर निगम क्षेत्र के वार्ड-53 का यह गार्डन अब आदर्श बगीचा बन चुका है। कभी घनी झाडिय़ों और जंगली घास से पटे रहने वाले इस गार्डन को रहवासियों ने खुद की मेहनत और खर्च पर सुंदर बना दिया। यहाँ का विकास कराया अब मेंटेनेंस भी खुद ही कर रहे हैं। इस गार्डन का कार्य इंदौर रोड स्थित सनराइज कॉलोनी के रहवासियों ने किया है। गार्डन में पाथ-वे, ब्लॉक, क्यारियाँ व 10 कुर्सियाँ लगाने के साथ छोटा खेल मैदान भी तैयार कराया है। सबसे खास बात ये कि इस गार्डन का विकास बिना किसी सरकारी मदद के हुआ है। शुरू से ही कॉलोनी बनने के बाद यहाँ गार्डन बंजर और उजाड़ पड़ा हुआ था। इस कार्य की शुरुआत रहवासियों ने कोरोना काल के समय लॉकडाउन से शुरू की थी। इसमें मिट्टी का समतलीकरण कराया, बगीचे के चारों तरफ ईंटों की क्यारियाँ बनाकर पौधे लगाए गए, जो अब पेड़ बन गए हैं। इसमें फूल व फलदार के साथ औषधीय पौधे भी है। यहाँ सुबह शाम ब्लॉक लगाकर घूमने के लिए भी पाथ-वे बनाया गया है। मेंटेनेंस के साथ पाथ-वे, ईंटों की क्यारियाँ और बगीचे में बैठने के लिए करीब 10 कुर्सियाँ लगाई गईं। टूटी जालियों की मरम्मत कराई गई। गार्डन के आसपास रहने वाले रहवासी ने बताया कि कार्य में किसी भी संस्था या शासकीय सहयोग नहीं लिया गया। पूरी तरह गार्डन बनने के बाद अब वन विभाग से सेवानिवृत्त भेरूलाल कलसिया ने अपने अनुभव और मेहनत से पौधों और गार्डन की देख-रेख करते हैं।
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