इंदौर (Indore)। पूर्व कलेक्टर मनीषसिंह (former collector manish singh) ने दिव्यांगों को क्रिकेट, टेबल टेनिस जैसे खेलों में बढ़ावा देते हुए प्रशिक्षण (Training) देने की योजना चलाई, लेकिन विभाग की लेटलतीफी और कलेक्टर (latecomer and collector) के तबादले के बाद दिव्यांगों को सिर्फ सपने ही नसीब हुए। फाइलें ताले में बंद हो गई, जबकि अगले दो माह में नेशनल चैम्पियशिप के बड़े आयोजन होने हैं, जिसमें दिव्यांग प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण भाग नहीं ले सकेंगे।
सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग के माध्यम से पूर्व कलेक्टर मनीषसिंह ने दिव्यांगों को सशक्त करने की योजना बनाई थी। जिसके तहत ऑनलाइन फार्म के माध्यम से पूरे जिले के दिव्यांगों से प्रशिक्षण के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। जिसमें से 163 जिले सहित 210 दिव्यांगों ने विभिन्न खेलों के लिए रुचि दिखाई थी। कलेक्टर के तबादले के बाद योजना धरी की धरी रह गई। दिव्यांगों द्वारा बार-बार आवेदन करने के बावजूद भी न तो प्रशिक्षण मिला और न ही प्रशिक्षण के लिए ट्रेनर की व्यवस्था की बात ही आगे बढ़ पाई। ज्ञात हो कि विभाग ने 26 जुलाई 2022 तक दिव्यांगों को भाला फेंक, गोला फेंक, व्हीलचेयर क्रिकेट, ब्लाइड क्रिकेट, म्यूजिक, योगा जैसी विभिन्न स्पर्धाओं में ट्रेंड करने का सपना दिखाया था, लेकिन पूरा नहीं किया। कलेक्टर के तबादले के बाद फाइलें ताले में बंद हो गई।
अक्टूबर माह में ट्रेनिंग शुरू होना थी
अक्टूबर – नवंबर में ट्रेनिंग होकर दक्ष दिव्यांग खिलाडिय़ों को प्रमाण पत्र देकर आगे की तैयारी के लिए राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय खेल में आगे बढ़ाया जाना था, लेकिन खेलो इंडिया की मेजबानी करने वाला इंदौर अपने ही जिले के खेल प्रतिभावान दिव्यांग जन की सुध नहीं ले रहा है। जिले के 4 से 5 जगहों पर नि:शुल्क सभी पैराओलंपिक खेलों की तैयारी 2 माह तक करवाई जाने की प्लानिंग की गई थी, जिसके बाद दिव्यांग खिलाडिय़ों में उत्साह पैदा हुआ था, लेकिन योजना ही ठप हो गई।
प्रशिक्षण को तरस रहे
आगामी मार्च में व्हील चेयर टेनिस की नेशनल चैंपियनशिप होने जा रही है जिसमें देश के समस्त राज्यों के व्हील चेयर टेनिस खिलाड़ी शामिल होंगे वही अप्रैल में टेबल-टेनिस की नेशनल चैंपियनशिप है इसमें भी प्रदेश और जिले का कोई भी दिव्यांग खिलाड़ी नहीं है। सवाल यह है कि प्रदेश और जिले के कोई भी व्हील चेयर दिव्यांग खिलाड़ी प्रशिक्षण के आभाव में अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पा रहे है। जिले के दिव्यांग खिलाडिय़ों का भविष्य अधर में लटका हुआ है, कोई ट्रेनर अब तक विभाग नहीं ढूंढ पाया है, जो दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए खेल के अभ्यास के साथ साथ मार्गदर्शन दे सकें।
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