नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने नोएडा के बिल्डर, प्रतीक ग्रुप के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज किया है. प्रतीक ग्रुप द्वारा नोएडा के सेक्टर 107 में बनाई गई हाउसिंग सोसाइटी में घर खरीदने वाले 20 लोगों की शिकायत पर प्रतीक ग्रुप के मालिक प्रतीक तिवारी, प्रशांत तिवारी और सीनियर मैनेजर सुनील कुमार मित्तल और अंशुमन शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
घर खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर ने कम से कम 190 करोड़ रुपये की धोखाधडी की है. उनका आरोप है कि सेक्टर सात की प्रतीक एडिफिश में बेचे गए 423 फ्लैट का साइज घर खरीदारों को बताए गए आकार से 10-12 फीसदी कम है. घर खरीदार इससे पहले नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिडर्सल कमीशन के पास भी गए थे. कमीशन ने एक आर्किटेक्ट की नियुक्ति भी घरों का साइज नापने को की थी. आर्किटेक्चर ने भी घरों का साइज बताए गए साइज से कम बताया था. हाउस बायर्स का आरोप है कि न केवल प्रतीक ग्रुप ने घर छोटे दिए हैं, बल्कि सोसायटी में अवैध रूप से निर्माण भी बिना प्रशासन की अनुमति लिए किया गया है.
पुलिस में दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, घर खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर ने वादे के मुताबिक सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई है. यही नहीं प्रतीक ग्रुप ने हाउस बायर्स से एकमुश्त लीज रेंट के रूप में भी 12.8 करोड़ रुपये लिए, जबकि नोएडा अथॉरिटी को केवल 6.4 करोड़ रुपये ही देने थे. आरोप है कि यह पैसा भी डेवलपर ने नोएडा अथॉरिटी को नहीं दिया. आरोप यह भी लगाया गया है कि बिल्डर ने फ्लैट मालिकों से ‘इंटरेस्ट फ्री मैंटेनेंस सिक्योरिटी’ के रूप में लिए 9 करोड़ रुपये भी होमबायर्स एसोसिएशन को रिफंड नहीं किए हैं.
एक शिकायतकर्ता राजीव गोयल ने कहा कि उनको फ्लैट भी एनसीडीआरसी के हस्तेक्षप के बाद ही मिले. एनसीडीआरसी ने बिल्डर को तीन सप्ताह में फ्लैट देने का आदेश बिल्डर को दिया था. लेकिन, ये फ्लैट आधी-अधूरी सुविधाओं के साथ मिले. वहीं, प्रतीक ग्रुप के एक प्रवक्ता का कहना है कि पुलिस ने इस मामले में अभी समूह से कोई संपर्क नहीं किया है. जिन लोगों ने शिकायत दर्ज कराई है, उनको फ्लैट का कब्जा दिया जा चुका है. पूरी जानकारी मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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