नई दिल्ली: देश में बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमत और बढ़ते प्रदूषण की वजह से अब वैकल्पिक ईंधन वाली गाड़ियों की मांग तेजी से बढ़ने लगी है. हाल ही के कुछ सालों में इलेक्ट्रिक और सीएनजी कारों की बिक्री में काफी उछाल आया है. ये कारें पेट्रोल-डीजल के मुकाबले चलाने में काफी सस्ती किफायती होती हैं. हालांकि, अब तक इन कारों की इतनी डिमांड नहीं है, जितनी पारम्परिक ईंधन वाली गाड़ियों की है. अगर आप भी महंगे ईंधन से छुटकारा पाने के लिए वैकल्पिक ईंधन वाली यानी सीएनजी या इलेक्ट्रिक कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो पहले दोनों के फायदे और नुकसान के बारे में अच्छे से जान लीजिए.
सीएजी कारों के फायदे
वर्तमान में मारुति सुजुकी समेत कुछ कार निर्माता अपनी एंट्री लेवल की कारों में फ़ैक्टरी-फिट किट पेश कर रहे हैं. सीएनजी वाहन के प्राथमिक लाभ में से एक यह है कि यह इलेक्ट्रिक वाहन की तुलना में फिटमेंट और चलाने की लागत में सस्ती है. सीएनजी वाहन अन्य वाहनों की तुलना में थोड़ा कम प्रदूषण करते हैं और सीएनजी की कीमत पेट्रोल और डीजल की तुलना में कम है. खरीदारों के पास अपनी सीएनजी कारों को पेट्रोल या डीजल पर भी चलाने का विकल्प भी है.
सीएजी कारों के नुकसान
इन कारों में सीएनजी सिलेंडर किट बहुत ज्यादा बूट स्पेस घेरता है और इससे भारी सामान के लिए कोई जगह नहीं बचती है. इसके अलावा कुछ राज्यों या शहरों में सीएनजी स्टेशन की संख्या बहुत कम है. टैंक रिफिल कराने के लिए सीएनजी स्टेशन ढूंढना भी मुश्किल है. सीएनजी कारों की एक और कमी यह है कि ईंधन समय के साथ कारों के प्रदर्शन को प्रभावित करती है, जिससे उसका बिजली उत्पादन कम हो जाता है, जो पेट्रोल या डीजल कारों की तुलना में 10 प्रतिशत तक गिर सकता है.
इलेक्ट्रिक कार के फायदे
इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्सर्जन शून्य होता है और ये पर्यावरण के अनुकूल होते हैं. प्रदूषण से निपटने के लिए कई राज्यों में इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा भी दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार सब्सिडी दे रही हैं. कई राज्यों में इलेक्ट्रिक कारों पर आरटीओ फीस या रोड टैक्स नहीं लगता है. इलेक्ट्रिक वाहनों की रनिंग कॉस्ट सभी वाहनों में सबसे सस्ती है. कुछ मामलों में इनकी रनिंग कॉस्ट की लागत एक रुपये से भी कम हो सकती है. इनका मेंटेनेंस भी कम होता है.
इलेक्ट्रिक कार के नुकसान
इलेक्ट्रिक वाहनों की एक बड़ी कमी उनकी कीमत है. बैटरी की ज्यादा लागत के कारण उनकी कीमत अन्य कारों की तुलना में बहुत अधिक है. इसके अलावा देश में ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर की अभी भारी कमी है. इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता होती है, जो भारत में बहुत कम और बहुत दूर हैं. इलेक्ट्रिक वाहन एक बार चार्ज करने पर लगभग 400 किमी की दूरी तय कर सकते हैं. हालांकि कुछ स्टेशन निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे हैं, लेकिन एक बड़ा नेटवर्क स्थापित करने में और पांच साल लगेंगे.
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