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    न्यायिक कर्मचारियों के वेतनमान मामले में गठित कर दें कमेटी?

  • January 25, 2022

    • हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता को दिशा-निर्देश प्राप्त करने के दिये निर्देश

    जबलपुर। हाईकोर्ट के कर्मचारियों को शेट्टी पे. कमीशन की अनुशंसा अनुसार न्यायिक वेतनमान नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गयी थी। चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस अंजुली पालो की युगलपीठ ने हाईकोर्ट की दो अनुशंसा के बावजूद आदेश का परिपालन नहीं किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की। युगलपीठ ने महाधिवक्ता को निर्देशित किया है कि मामले के समाधान के लिए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल तथा वित्त व विधि विभाग के प्रमुख सचिव की कमेटी गठित करने के संबंध में सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त कर न्यायालय को अवगत कराये। युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है।


    उल्लेखनीय है कि मप्र हाईकोर्ट में कार्यरत चंद्रिका प्रसाद कुशवाहा सहित अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल 2017 को उनकी रिट याचिका स्वीकार करते हुए सरकार को शेट्टी पे कमीशन की अनुशंसाओं का लाभ निर्देश दिये थे। इस आदेश के बाद भी याचिकाकर्ताओं का उक्त लाभ नहीं दिये जाने के खिलाफ उक्त अवमानना याचिका साल 2018 में दायर की गयी थी। याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया था कि युगलपीठ ने पाया कि उच्च न्यायालय द्वारा 28 अप्रैल 2017 को पारित फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर थी। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी अपील को खारिज कर दिया था। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को आदेश के परिपालन के संबंध में रिपोर्ट पेश करने निर्देश जारी किये थे। परिपालन रिपोर्ट पेश नहीं करने पर व्यक्तिगत उपस्थिति होने की आदेश भी जारी किये थे। मुख्य सचिव इकबाल सिंह की ओर से पेश किये गयी परिपालन रिपोर्ट में कहा गया था कि न्यायिक कर्मचारियों को सरकार अनुशंसा अनुसार वेतनमान नहीं दे सकती है। हाईकोर्ट कर्मचारियों को अनुशंसा अनुसार वेतनमान दिये जाने का प्रस्ताव केबिनेट की बैठक में रखा गया था। केबिनेट ने इस आधार पर प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि न्यायिक कर्मचारियों को अनुशंसा अनुसार वेतनमान दिया जाता है तो अन्य विभाग के कर्मचारी के साथ पक्षपात होगा। दूसरे विभाग के कर्मचारी भी न्यायिक कर्मचारियों के सामान्य वेतन की मांग करेंगे। परिपालन रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद युगलपीठ ने पाया था कि यह उच्च न्यायालय की अवहेलना की श्रेणी में आता है। जिसके बाद महाधिवक्ता ने परिपालन रिपोर्ट वापस लेने का आग्रह किया। युगलपीठ ने महाधिवक्ता के उक्त आग्रह को स्वीकार कर लिया था। याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त निर्देश जारी किये। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नमन नागरथ ने पैरवी की।

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