- कोरोना में भी आई थी बड़ी समस्या लंबे समय से डाक्टरों के पद खाली हैं जेल में
उज्जैन। लगभग तीन साल पहले भैरवगढ़ जेल में पदस्थ पूर्व डॉक्टर के निलंबन के बाद जिला अस्पताल से एक अन्य डॉक्टर को वहाँ ड्यूटी पर भेजा गया था। ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद ही कोरोना की दूसरी लहर में कोरोन्टाइन का कहकर का कहकर छुट्टी पर चले गए थे। इसके बाद से अब तक यहाँ नए डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हो पाई है। उल्लेखनीय है कि साल 2020 में अगस्त माह के दूसरे सप्ताह में केंद्रीय जेल भैरवगढ़ का निरीक्षण करने कलेक्टर आशीष सिंह पहुँचे थे। उन्होंने जेल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया था और उस दौरान उन्हें जानकारी मिली थी कि जेल में पदस्थ डॉ. डेविड नीलम कार्य में लापरवाही करते हैं। कलेक्टर के दौरे के दौरान भी वह ड्यूटी से नदारद थे। इस पर डॉ. नीलम को कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। इसी के साथ जिला अस्पताल के डॉ. अनिल कंडारे की वहाँ ड्यूटी लगा दी गई थी।
डॉ. कंडारे को भैरवगढ़ जेल में निलंबित किए जा चुके डॉ. डेविड नीलम के स्थान पर कैदियों का उपचार करना था। उस दौरान तत्कालीन जेलर अलका सोनकर ने बताया था कि ज्वाइन करने के बाद डॉक्टर 26 सितंबर तक ड्यूटी पर आए, उसी दिन उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य में गड़बड़ी के चलते उन्हें होम कोरोन्टाइन रहना होगा। इस कारण वे कुछ दिन ड्यूटी पर नहीं आएँगे। कोरोन्टाइन की अवधि बीत जाने के बाद भी जब डॉ. कंडारे ड्यूटी पर वापस नहीं आए तो उन्होंने जेल में अन्य किसी डॉक्टर की ड्यूटी निर्धारित करने के लिए तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. महावीर खंडेलवाल को पत्र लिखा था, उसके बाद से ही स्वास्थ्य विभाग ने भैरवगढ़ जेल में कैदियों के उपचार के लिए अभी तक कोई डॉक्टर नियुक्ति नहीं किया है। हालांकि जिला अस्पताल से प्रति गुरुवार जेल में सजा काट रहे मानसिक रोगी कैदियों के उपचार के लिए डॉक्टर विनित अग्रवाल वहाँ जाकर उपचार करते हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि स्थायी नियुक्ति नहीं होने के कारण आवश्यकता पडऩे पर जिला अस्पताल से डॉक्टरों को बुलाया जाता है।