नई दिल्ली। कांग्रेस ने 7 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर दी है, जो तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई है और कुल 12 राज्यों से होते हुए जम्मू-कश्मीर तक पहुंचेगी। 3570 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में 5 महीने का वक्त लगेगा और राहुल गांधी इसकी अगुवाई करेंगे। कांग्रेस का कहना है कि इस यात्रा से कांग्रेस नए अवतार में सामने आएगी और जिसे मित्र दल या फिर विपक्षी हल्के में नहीं ले सकेंगे। कांग्रेस ने इस यात्रा को बड़ी तैयारी के साथ शुरू किया है, लेकिन इसे लेकर कुछ सवाल भी हैं। जैसे इसमें 12 राज्यों को ही क्यों शामिल किया गया है? यूपी में सिर्फ मामूली हिस्से को ही क्यों कवर किया गया और बिहार, बंगाल, झारखंड जैसे राज्यों को इसमें कवर क्यों नहीं किया गया है।
यूपी में थोड़ा ही चलेगी यात्रा, बिहार, गुजरात जैसे राज्यों से दूरी
यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि लोकसभा की 80 सीटें अकेले उत्तर प्रदेश से आती हैं, जबकि बिहार 40 सीटों वाला राज्य है। इसके अलावा बंगाल से भी 42 सीटें आती हैं। ऐसे में इन राज्यों से यात्रा का न गुजरना सवाल खड़े करने वाला है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से गुजरात भी अहम है क्योंकि यहां 26 सीटें हैं। इसके अलावा इसी साल के अंत में यहां विधानसभा के चुनाव भी होने वाले हैं। कांग्रेस यदि अपनी यात्रा के रूट में इस राज्य को भी शामिल करती तो यह उसके लिए बेहतर हो सकता था और गुजरात जैसे अहम राज्य में वह एक संदेश भी दे सकती थी।
क्यों उत्तर से ज्यादा दक्षिण भारत पर है फोकस
हालांकि कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों को उसने कवर किया है। जहां उसका जनाधार अब भी उत्तर भारत के राज्यों के मुकाबले अधिक है। यही नहीं कांग्रेस इससे पहले भी ‘दक्षिण भारत चलो’ की रणनीति पर काम कर चुकी है। इंदिरा गांधी ने भी 1977 में रायबरेली से हार के बाद चिकमंगलूर सीट से उपचुनाव लड़ा था सोनिया गांधी भी कर्नाटक की बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। ऐसे में कांग्रेस का मानना है कि उत्तर भारत में वह अस्तित्व की जंग लड़ रही है और चुनावी मुकाबले में आने के लिए उसे खासी मशक्कत करनी होगी। ऐसे में वह दक्षिण भारत में मेहनत करने से अच्छी स्थिति में आ सकती है क्योंकि वहां वह जीत की स्थिति में है। इसके अलावा जिन सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था, वहां भी उसका अंतर काफी कम था।
भारत जोड़ा यात्रा से कितने वोट जोड़ पाएगी कांग्रेस?
फिर भी यह अहम सवाल है कि यदि कांग्रेस खुद को राष्ट्रव्यापी दल के तौर पर फिर से स्थापित करना चाहती है तो फिर यूपी, बिहार, गुजरात जैसे अहम राज्यों को कैसे बिसार सकती है। कांग्रेस ने तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, यूपी, दिल्ली और हरियाणा समेत जिन राज्यों से यात्रा को निकालने का फैसला लिया है। वहां से लोकसभा की 321 सीटें आती हैं। इन राज्यों में कांग्रेस को 2019 में कुल 37 सीटें मिली थीं। ऐसे में यह देखना होगा कि यात्रा कितना कांग्रेस को मजबूत कर पाती है और उसके लिए कितने वोटों को जोड़ पाती है।
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