उज्जैन। छत्री चौक में धातु की बनी पानी की टंकी से बूढ़े और बच्चे सभी वाकिफ हैं और नगर निगम इसे तोडऩे जा रही है, जबकि होना यह चाहिए कि 110 साल पुरानी इस धरोहर को संभाल कर रखना चाहिए था। इस संबंध में नगर निगम को बाजारी मानसिकता से ऊपर उठकर केवल पैसा कमाने का लक्ष्य नहीं रखना चाहिए। लोगों का कहना है कि इस टंकी को तोडऩे का कोई मतलब नहीं है। कॉम्पलेक्स और भी कई जगह बनाए जा सकते हैं।
शहर का विकास होना चाहिए लेकिन शहर के हेरिटेज को खत्म करके नहीं। एक तरफ प्रदेश सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर पुरातन शहर के हेरिटेज को बचाने की बात कह रही है, वहीं दूसरी ओर नगर सरकार 100 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी शहर की पुरानी पानी की टंकी जो शहर के इतिहास को दर्ज करती है उसे तोडऩे का प्रस्ताव लाई है। पिछले दिनों एमआईसी में छत्रीचौक की पुरानी पानी की टंकी को तोडक़र वहाँ शॉपिंग कॉॅम्पलेक्स का प्रस्ताव एमआईसी ने पारित किया है जो अब 30 जुलाई को सदन में पास करने के लिए रखा जाएगा। शहर के वरिष्ठ लोगों के अनुसार यह पानी की टंकी 1910 के आसपास अंग्रेजों ने पुराने शहर में जल प्रदाय की व्यवस्था के लिए बनवाई थी। इस टंकी से शहर के हर चौराहे पर फायर एक्जीक्युटर भी लगे है, जिससे आग बुझाई जा सकती है लेकिन लगातार खुदाई के कारण इनकी पाईप लाईन नष्ट हो गई है। अब शहर के बीचोंबीच यह हरिटेज का बड़ा प्रमाण है।
अंग्रेजों ने उस समय यह टंकी बहुत मजबूती से बनवाई थी। इस पूरी टंकी में तांबे की प्लेट लगी है। एक प्लेट का वजन करीब साढ़े 3 क्विंटल है। ऐसी करीब 200 से अधिक तांबे की प्लेट इस टंकी में लगी हुई है। मतलब एक प्लेट करीब डेढ़ लाख रुपए की है। इस बात से अंदाज लगाया जाए तो इस पानी की टंकी में जो प्लेट लगी हुई है वह करीब 3 करोड़ के आसपास की है। और तांबा पानी को शुद्ध रखता है। अर्थात हर ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह टंकी श्रेष्ठ है। इस टंकी में 2005 के बाद तत्कालीन आयुक्त राजेश जैन के कार्यकाल में पीएचई के एमआईसी प्रभारी प्रकाश शर्मा ने 4 लाख रुपए लगवाकर इसका जीर्णोद्धार कराया था। अब इस टंकी को तोडक़र कॉम्पलेक्स बनाने की वर्तमान परिषद को क्या सूझी, यह समझ से परे है। क्योंकि यहाँ से चंद कदमों की दूरी पर एक शॉपिंग कॉम्पलेक्स नगर निगम ने एक करोड़ रुपए से ज्यादा लगाकर बनाया है और यहाँ की दुकाने अभी तक पूरी नहीं बिकी है। ऐसे में टंकी तोडक़र फिर से शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाना कहाँ की समझ है। इससे तो अच्छा छत्रीचौक डिस्पेंसरी के भाग को बनवाए और गली को चौड़ा करवाएं, ताकि यातायात में सुविधा हो सकें।
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