• img-fluid

    नासा के मिशन को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा, एक गलती से खत्म हो गया इस ग्रह से जीवन?

  • November 18, 2024

    नई दिल्ली: क्या पृथ्वी के अलावा किसी और ग्रह में जीवन (Life on the planet) है? दुनियाभर के वैज्ञानिक दशकों से इस सवाल का जवाब तलाश करने में जुटे हैं, पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन (Climate change) की वजह से आपदाओं से घिरी धरती को छोड़कर अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश की जा रही है, इस बीच एक एस्ट्रो-बायोलॉजिस्ट ने बड़ा खुलासा किया है.

    जर्मनी के बर्लिन स्थित टेक्निक यूनिवर्सिटी के एस्ट्रो-बायोलॉजिस्ट डिर्क शुल्ज-माकुच ने नासा के 5 दशक पहले भेजे गए एक मिशन को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने आशंका जताई है कि 70 के दशक में मंगल ग्रह पर भेजे गए वाइकिंग मिशन के दौरान नासा ने अनजाने में जीवन की संभावनाओं को नष्ट कर दिया था.

    अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने 1975 में मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश के लिए वाइकिंग मिशन लॉन्च किया था. नासा ने दो स्पेसक्राफ्ट ‘लाल ग्रह’ की सतह पर भेजा, जिससे जीवन की संभावनाओं की जांच की जा सके. नासा का वाइकिंग-1 मंगल की सतह पर उतने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट था. 19 जून 1976 को यह स्पेसक्राफ्ट मंगल की कक्षा में पहुंचा और करीब एक महीने तक चक्कर काटने के बाद उपयुक्त सतह की पहचान कर लाल ग्रह के क्लाइस प्लैनिटिया क्षेत्र में लैंडिंग की. इसके कुछ ही महीने बाद नासा ने ‘वाइकिंग-2’ मिशन लॉन्च किया जिसने मंगल ग्रह की सतह की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें धरती पर भेजीं, इन तस्वीरों ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था.


    दरअसल वाइकिंग मिशन के इस दौरान नासा ने मंगल ग्रह की मिट्टी को पानी और पोषक तत्वों के साथ मिलाकर परीक्षण किया था. नासा ने धरती पर जीवन के लिए जरूरी आवश्यकताओं की कल्पना करते हुए इन तत्वों को मिलाकर जांच की, जिसमें शुरुआती परिणाम ने मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं के संकेत दिए थे. हालांकि दशकों बाद ज्यादातर रिसर्चर्स का मानना है कि उस परीक्षण के परिणाम गलत थे. अब शुल्ज-माकुच ने एक रेडिकल थ्योरी प्रस्तावित की है जिसके मुताबिक वाइकिंग लैंडर्स ने शायद मंगल ग्रह पर जीवन की खोज कर ली थी लेकिन अनजाने में इसकी मिट्टी को पानी के साथ मिलाकर जीवन की संभावना को खत्म कर दिया.

    नेचर के लिए एक टिप्पणी में, शुल्ज-माकुच ने लिखा कि संभावित मंगल ग्रह का जीवन वातावरण से नमी खींचने के लिए सॉल्ट पर निर्भर होकर अति शुष्क परिस्थितियों में जीवित रह सकता है, चिली के अटाकामा रेगिस्तान जैसे चरम वातावरण में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के समान. उन्होंने व्याख्या करते हुए बताया है कि नासा के वाइकिंग लैंडर ने शायद गलती से ज्यादा पानी मिलाकर मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना को खत्म कर दिया था. यह परिकल्पना नासा की लंबे समय से चली आ रही उस रणनीति को चुनौती देती है, जिसमें किसी अन्य ग्रह पर जीवन की संभावना के लिए पानी की तलाश को महत्व दिया जाता रहा है.

    शुल्ज-माकुच का कहना है कि पानी के तरल रूप को प्राथमिकता देने की बजाए, भविष्य के मिशन को हाइग्रोस्कोपिक सॉल्ट को टारगेट करना चाहिए. हाइग्रोस्कोपिक साल्ट वह तत्व है जो वातावरण की नमी को अवशोषित कर लेता है. मंगल ग्रह पर पाया जाने वाला मुख्य सॉल्ट सोडियम क्लोराइड संभावित तौर पर माइक्रोबियल (सूक्ष्मजीव) जीवन को बनाए रख सकता है, जैसा कि धरती पर कुछ बैक्टीरिया ब्राइन सोल्यूशन (नमकीन घोल) में पनपते हैं. शोधकर्ता ने मंगल ग्रह के सूक्ष्मजीवों पर वाइकिंग प्रयोग के संभावित प्रभाव की तुलना अटाकामा रेगिस्तान में हुई घटना से की है. जहां मूसलाधार बारिश ने 70 से 80% इंडिजनस जीवाणुओं को मार डाला, क्योंकि वे पानी के बहाव के अनुकूल नहीं हो सके.

    वाइकिंग मिशन के करीब 50 साल बाद, शुल्ज-माकुच ने मंगल ग्रह पर जीवन का पता लगाने के लिए नए सिरे से प्रयास करने की अपील की है, जिसमें ग्रह के चरम वातावरण के बारे में नए प्रयासों और जानकारी को शामिल किया जाए. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि, ‘यह एक और जीवन-पता लगाने वाले मिशन का समय है.’ हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि उनका सिद्धांत अभी भी अटकलों पर आधारित हैं. इसे विश्वसनीय सबूत बनाने के लिए जीवन का पता लगाने के कई स्वतंत्र तरीकों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है.

    Share:

    भारत में हर साल गायब हो रहा 69000 करोड़ का फ्री राशन, गरीबों तक नहीं पहुंच रहा अनाज

    Mon Nov 18 , 2024
    नई दिल्ली: भारत में फ्री राशन योजना (free ration scheme) शुरू करने का मकसद गरीबों तक राशन पहुंचाना है. इस योजना के तहत सरकार जरूरतमंदो को फ्री राशन देती हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ये राशन सच में गरीबों तक पहुंच रही हैं या कही और इस्तेमाल हो रहा है? जिससे देश […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    सोमवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved