वाशिंगटन। एलियन (alien) के अस्तित्व को लेकर साइंटिस्ट (scientist) लगातार खोज करते रहते हैं। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी ग्रह पर एलियन मौजूद हो सकते हैं, हालांकि यह मात्र एक कल्पना है। इससे पहले यह दावा किया गया था कि एलियन (alien) मंगल पर है। यह सवाल इसलिए चर्चा में इसलिए था क्योंकि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने लाल ग्रह पर एक दरवाजे की खोज की थी। नासा के क्यूरियोसिटी रोवर को मंगल पर दरवाजे जैसी एक आकृति दिखी थी। रोवर की नई फोटो में यह दिलचस्प चीज सामने आई थी जिसके बाद लोग इसे एलियंस के घर का दरवाजा बता रहे थे। सोशल मीडिया पर इसे एलियंस के अस्तित्व से भी जोड़कर देखा जा रहा था, लेकिन कुछ नहीं मिला।
यही तरह का सवाल एक बार फिर उठ रहा है कि एलियन हैं कहां। इसको लेकर कोपेनहेगन विश्वविद्यालय (University of Copenhagen) द्वारा शोध किया या था। इसमें पता चला कि जो ग्रह बाइनरी सितारों की परिक्रमा कर रहे हैं, वे एलियंस के लिए संभावित घर हो सकते हैं। सोधा में दावा किया गया है कि बाइनरी स्टार दो सितारों की एक प्रणाली है, जो गुरुत्वाकर्षण से बंधे होते हैं और एक दूसरे के चारों ओर कक्षा में होते हैं। विशेषज्ञों ने पाया है कि बाइनरी सितारों को नग्न आंखों से देखने पर एक ही लगते हैं। शोध में उल्लेख किया गया है कि सूर्य (Sun) के आकार के लगभग आधे तारे बाइनरी हैं।
एलियन की खोज में मदद
शोध में कहा गया है कि बाइनरी सितारों के आसपास की ग्रह प्रणाली एकल सितारों के आसपास के ग्रहों से बहुत भिन्न हो सकती है। इसका मतलब है कि ऐसे ग्रह एलियन की खोज में नए टारगेट हो सकते हैं। पृथ्वी पर जीवन की संभावनाएं और दायरा लोगों को आकर्षित करता है। खगोलविद यह समझने के लिए सबूत इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं कि पृथ्वी के बाहर जीवन हो सकता है या नहीं और जिसकी उत्पत्ति पृथ्वी पर नहीं हुई है।
अलग तरह की होती है इन ग्रहों की प्रणाली
शोध में उल्लेख किया गया है कि नए परिणाम से संकेत मिलता है कि सूर्य जैसे एकल सितारों की तुलना में ग्रहों की प्रणाली बाइनरी तारों के आसपास बहुत अलग तरीके से बनती है। कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के नील्स बोहर संस्थान के प्रोफेसर जेस क्रिस्टियन जोर्गेन्सन इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिणाम रोमांचक है, क्योंकि आने वाले वर्षों में एलियन जीवन की खोज कई नए और अत्यंत शक्तिशाली उपकरणों से लैस होगी।
ताइवान और यूएस भी शोध में शामिल
जोर्गेन्सन ने कहा कि इस शोध से यह समझने में मदद मिलती है कि विभिन्न प्रकार के तारों के आसपास ग्रह कैसे बनते हैं. ऐसे रिजल्ट उन स्थानों की तरफ इशारा करता है, जो जीवन के अस्तित्व की जांच के लिए दिलचस्प होंगे. ये रिजल्ट नेचर जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इस परियोजना में ताइवान (Taiwan) और संयुक्त राज्य अमेरिका (America) के खगोलविदों (Astronomers) की भी भागीदारी है।
नए बाइनरी स्टार का चला पता
बता दें कि चिली में ALMA टेलीस्कोप (Telescope) द्वारा पृथ्वी से लगभग 1,000 प्रकाश वर्ष (Light year) दूर एक युवा बाइनरी स्टार का पता चला है. यह बाइनरी स्टार (NGC 1333-IRAS2A) गैस और धूल की एक डिस्क से घिरा हुआ है।
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