लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की लड़ाई समाप्त हो चुकी है. जनता जनार्दन ने अपना फैसला सुना दिया है. BJP ने 255 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में वापसी की है. चुनाव नतीजे सामने आने के बाद अब नए-नए तथ्य सामने आने लगे हैं. ऐसा ही एक दिलचस्प तथ्य मुस्लिम प्रत्याशियों को लेकर सामने आया है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल 25 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव जीतकर सदन पहुंचे थे. इस बार के चुनाव में 34 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. मतलब यह कि इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुसलमान जनप्रतिनिधियों की संख्या बढ़ गई है. इससे भी दिलचस्प बात यह है कि इस बार सभी मुस्लिम उम्मीदवार समाजवादी पार्टी या फिर सपा के सहयोगी दलों से जीतकर आए हैं. बसपा, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने 223 से भी ज्यादा मुसलमान प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे. चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से सभी को हार का सामना करना पड़ा है.
बसपा ने 88 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था. इनमें से एक भी उम्मीदवार नहीं जीत सका. कांग्रेस ने इस बार 399 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारा था, जिनमें से 75 मुस्लिम उम्मीदवार थे. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे सभी मुस्लिम प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है. हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी 60 से ज्यादा सीटों पर मुसलमानों को टिकट दिया था. AIMIM के सभी प्रत्याशियों को इस बार के चुनाव में मुंह की खानी पड़ी है. आंकड़ों के अनुसार, बसपा, कांग्रेस और AIMIM ने मुसलमान समुदाय पर दांव लगाया था जो पूरी तरह से विफल रहा. दूसरी तरफ अखिलेश की पार्टी के मुसलमान प्रत्याशियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है.
इस बार विधानसभा में ज्यादा मुस्लिम जनप्रतिनिधि
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस साल के चुनाव में ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे. पिछले चुनाव में 403 सीटों वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा में 25 मुस्लिम विधायक थे. इस बार यह आंकड़ा 34 तक पहुंच गया है. दिलचस्प यह है कि सभी मुस्लिम उम्मीदवार सपा या फिर सपा गठबंधन से जुड़े हैं. अन्य दलों के एक भी मुस्लिम प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सके.
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