मुंबई: मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी है. मलिक ने अपनी याचिका में मेडिकल कारणों का जिक्र करते हुए बेल के लिए अनुरोध किया था. गुरुवार (13 जुलाई) को कोर्ट ने मेडिकल कारणों के आधार पर नवाब को जमानत देने से इनकार कर दिया.
एनसीपी नेता न्यायिक हिरासत में हैं और यहां एक प्राइवेट हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है. उन्होंने मेडिकल कारणों का हवाला देते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि वह गुर्दे के रोग से पीड़ित हैं साथ ही उन्हें कई अन्य बीमारियां भी हैं.
गुर्दे की बीमारी के स्टेज 2 और 3 पर हैं मलिक
जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की एकल पीठ ने चिकित्सकीय आधार पर जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह उनकी जमानत संबंधी अपील पर गुणवत्ता के आधार पर दो हफ्ते के बाद सुनवाई करेगी. मलिक के वकील अमित देसाई ने कहा कि पिछले आठ महीनों से मलिक की हालत बिगड़ती जा रही है और वह गुर्दे की बीमारी के स्टेज 2 से स्टेज 3 के बीच हैं.
वकील ने कहा, मलिक का ऐसी परिस्थितयों में रहना ठीक नहीं
उन्होंने अदालत से जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि मलिक की सेहत को ध्यान में रखा जाए और अगर उन्हें इन्हीं परिस्थितियों में रहने दिया गया तो यह जानलेवा साबित हो सकता है. कोर्ट में ईडी की ओर से सॉलीसिटर जनरल अनिल सिंह ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मलिक अपनी पसंद के अस्पताल में हैं और अपना ट्रीटमेंट करवा रहे हैं.
ईडी कर रही मामले की जांच
मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है. ईडी ने मलिक को भगौड़े गैंगस्टर दाउद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था. मलिक के खिलाफ ईडी का मामला 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की ओर से गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है.
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