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धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट मामले में फेसबुक- यू-ट्यूब को झटका, HC ने दिया ये आदेश

February 07, 2024

डेस्क: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विरुद्ध अनर्गल पोस्ट से जुड़े मामले में सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक-मेटा, एक्स और यू-ट्यूब की दलील अस्वीकार कर दी है. इस मामले में चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने सोशल मीडिया कंपनियों के अपील वापस लेने का निवेदन स्वीकार करते हुए निरस्तगी का आदेश पारित किया है.

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के शिष्य याचिकाकर्ता रंजीत सिंह पटेल की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि फेसबुक-मेटा, एक्स और यू-ट्यूब आदि बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विरुद्ध अनर्गल पोस्ट की वजह से कठघरे में हैं. इसलिए याचिका के जरिए मिथ्या प्रचार सामग्री डिलीट किए जाने की मांग की गई थी. जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आपत्तिजनक पोस्ट हटाने और भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने का आदेश पारित किया था.

हाईकोर्ट में कंपनियों ने दायर की याचिका
अधिवक्ता पंकज दुबे के मुताबिक, इस आदेश का पालन करने के स्थान पर इंटरनेट मीडिया की इन कंपनियों ने एमपी हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी. सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से दलील दी गई कि उनके प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल पोर्टल हैं, जिनकी पोस्ट पर उनका नियंत्रण नहीं है. इसलिए अनुचित पोस्ट करने वाले व्यक्ति विशेष के विरुद्ध केस दायर किया जाना चाहिए. हालांकि इन दलीलों से हाईकोर्ट सहमत नहीं हुआ तो उनकी ओर से अपील वापस लेने का निवेदन कर दिया गया.


हेलमेट प्रकरण में हाईकोर्ट ने मांगा ब्यौरा
एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हेलमेट, सीट बेल्ट की अनिवार्यता और वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने को लेकर चीफ सेक्रेटरी के साथ हुई बैठक में तय की गई रणनीति का ब्यौरा पेश करने के निर्देश दिए. कोर्ट ने इसके लिए दो दिन का समय दिया है. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 8 फरवरी को नियत की है.

दरअसल, ग्वालियर की छात्रा ऐश्वर्या शांडिल्य की ओर से सड़क दुर्घटना में हुई दो व्यक्तियों की मौत का हवाला देते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. चीफ जस्टिस के निर्देश पर उक्त याचिका सुनवाई के लिए मुख्य पीठ में स्थानांतरित की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि दुर्घटना के समय दो पहिया वाहन चालक हेलमेट लगाए होते तो उनकी मौत नहीं होती. अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से सिर में चोट आने के कारण दोपहिया वाहन-सवारों की मौत होती है. याचिका में कहा गया कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालय ने दो पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता के संबंध में आदेश जारी किये हैं.

मोटर व्हीकल एक्ट का नहीं किया गया पालन
इसमें कहा गया कि मोटर व्हीकल एक्ट में भी हेलमेट लगाकर वाहन चलाने का प्रावधान है. इसी तरह चौपहिया वाहनों के लिए सीट बेल्ट लगाना और वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना आवश्यक है, जिसका प्रदेश में पालन नहीं किया जाता है. मोटर व्हीकल एक्ट में दिये गये प्रावधानों का सख्ती से पालन किया जाये तो सड़क दुर्घटना में मौतों के ग्राफ में कमी आयेगी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अवधेश तोमर ने बताया कि मंगलवार (6 फरवरी) को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि गत दिवस मुख्य सचिव ने संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. बैठक में मोटर व्हीकल एक्ट को सख्ती से लागू किये जाने के संबंध में कार्य योजना बनाई गयी है.

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