नई दिल्ली: श्रीलंका ने चीन को झटका देते हुए भारत की आपत्ति को गंभीरता से लिया है. कोलंबो ने चीन के जासूसी पोत युआन वांग-5 को हंबनटोटा बंदरगाह पर आने की तारीख आगे बढ़ाने के लिए कहा है. भारत ने चीनी पोत के श्रीलंका में रुकने पर आपत्ति जताई थी. इसलिए इस फैसले को चीन के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है.
दरअसल, चीन का जासूसी पोत युआन वांग-5 अगस्त की 11 तारीख को हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचने वाला था. यह पोत 17 अगस्त तक यहीं रहता. तीसरी पीढ़ी के इस आधुनिक जासूसी पोत के श्रीलंका में रुकने पर भारत ने इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए विरोध दर्ज कराया था.
भारत ने निगरानी की कही थी बात
भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि इस घटनाक्रम की वे बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. इसका आकलन किया जा रहा है कि क्या इससे भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर कोई असर पड़ेगा. जरूरत पड़ने पर सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.
12 जुलाई को ही दे दी थी अनुमति
श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने कोलंबो में स्थित चीनी दूतावास को पत्र लिखकर पोत के आने की तारीख परामर्श तक आगे स्थगित करने का अनुरोध किया है. बता दें कि श्रीलंका ने चीनी जासूसी पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर आने की अनुमति 12 जुलाई 2022 को ही दे दी थी.
श्रीलंका की मदद कर रहा है भारत
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में इन दिनों हालात बेहद खराब हैं. आर्थिक संकट के कारण यहां लोगों के लिए रोजमर्रा की चीजें जुटाना भी मुश्किल हो गया है. लोग पेट्रोल-डीजल और खाने-पीने की चीजों के लिए भी तरस रहे हैं. सिर्फ भारत ही खुले तौर पर श्रीलंका की मदद के लिए आगे आया है. ऐसे में चीनी पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की इजाजत देना भारत के लिए झटके जैसा ही था. हालांकि श्रीलंका के नए फैसले से लग रहा है कि वह वर्तमान समय में भारत को नाराज नहीं करना चाहता है.
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