मुंबई । शिवसेना (Shivsena) ने कोल्हापुर के युवराज (Crown Prince of Kolhapur) संभाजीराजे छत्रपति (Sambhajiraje Chhatrapati) की ओर से निर्दलीय (Independent) राज्यसभा चुनाव लड़ने (Contesting Rajya Sabha Elections) पर सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि वह महाराष्ट्र में (In Maharashtra) आगामी राज्यसभा चुनाव में (In Rajya Sabha Elections) किसी भी निर्दलीय उम्मीदवार (Independent Candidate) का समर्थन नहीं करेगी (Will Not Support) । शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि पार्टी दो उम्मीदवार उतारेगी और विश्वास जताया कि दोनों ही जीतेंगे।
राउत राष्ट्रपति मनोनीत पूर्व सांसद संभाजीराजे की ओर से पिछले हफ्ते की गई घोषणा की ओर इशारा कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अकेले राज्यसभा चुनाव लड़ेंगे और विभिन्न दलों का समर्थन मांगेंगे। इस मुद्दे पर शिवसेना के रुख को दोहराते हुए राउत ने कहा, “हमारे पास संभाजीराजे के खिलाफ कुछ भी नहीं है। अगर उन्होंने कहा है कि वह स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने अपने 42 वोटों की व्यवस्था की होगी।”
पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिवसेना संभाजीराजे को मैदान में उतारने के लिए तैयार होगी बशर्ते वह पार्टी में शामिल हों और कथित तौर पर उन्हें फैसला करने के लिए सोमवार (23 मई) दोपहर 12 बजे तक की ‘समय सीमा’ दी गई थी। हालांकि, संभाजीराजे ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है और वह राज्यसभा चुनाव में अकेले लड़ने पर अड़े हुए हैं।राउत ने पुष्टि की कि शिवसेना ने संभाजीराजे को पार्टी में शामिल होने और उसका उम्मीदवार बनने के लिए आमंत्रित किया था और निर्णय उन पर छोड़ दिया गया है। राउत ने दोनों सीटों पर शिवसेना उम्मीदवार की पुष्टि करते हुए कहा कि पार्टी संसद के उच्च सदन में अपनी संख्या बढ़ाने की इच्छुक है और इसलिए किसी भी निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं है।
राज्यसभा चुनाव छह सदस्यों के सेवानिवृत्त होने पर रिक्तियों को भरने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं। सेवानिवृत्त होने वाले सांसदों में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सहयोगी शिवसेना से संजय राउत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से प्रफुल पटेल और कांग्रेस से पी. चिदंबरम शामिल हैं। इसके अलावा इस सूची में भारतीय जनता पार्टी से डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, पीयूष गोयल और डॉ. विकास महात्मे शामिल हैं।हालांकि, चुनावी संकेतों पर गौर करें तो भाजपा वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को दोबारा उच्च सदन में भेज सकती है, शिवसेना अपने मुख्य प्रवक्ता राउत को फिर से मैदान में उतार सकती है और राकांपा अपने महासचिव पटेल को बनाए रख सकती है, जो पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के करीबी विश्वासपात्र हैं, लेकिन कांग्रेस की ओर से चिदंबरम को लेकर संशय बना हुआ है, क्योंकि वह और उनका परिवार सीबीआई की जांच के दायरे में है।
इस बार, 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद बने समीकरणों को देखते हुए, भाजपा आराम से अपने पास मौजूद तीन सीटों में से दो सीटें जीत सकती है और एमवीए भी अपनी तीन सीटें जीत सकती है। एमवीए भाजपा की तीसरी सीट को जीतने के लिए अपना चौथा मजबूत उम्मीदवार उतारकर भगवा पार्टी को झटका देना चाहती है। छठी सीट पर एकतरफा दावा करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें प्रत्यक्ष वंशज संभाजीराजे हैं, जो एक निर्दलीय के रूप में राज्यसभा चुनावों में उतरने की योजना बना रहे हैं।
निर्वाचक मंडल में 288 विधायक हैं और संसद के उच्च सदन में एक सीट जीतने के लिए एक उम्मीदवार को 42 वोट प्राप्त करने होंगे। एमवीए के 170 विधायक हैं, जिनमें शिवसेना के 55 (पिछले हफ्ते दुबई में एक विधायक रमेश लटके की मृत्यु हो गई), राकांपा के 53, कांग्रेस के 44, छोटे दलों/समूहों के 10 और 8 निर्दलीय विधायक हैं। विपक्ष की बात करें तो भाजपा के पास 106, अन्य छोटे दलों/समूहों के पास 2 और 5 विधायक निर्दलीय हैं।संभाजीराजे का कहना है कि इन परिस्थितियों में भाजपा को केवल दो सीटें मिल सकती हैं और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस को एक-एक, इसलिए वह विभिन्न प्रमुख और छोटी पार्टियों के समर्थन से उस ‘अतिरिक्त’ छठी सीट पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे।
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