भोपाल। मध्य प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा ने 3-1 से मुकाबला जीत लिया है। भाजपा ने जहां खंडवा लोकसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है, वहीं कांग्रेस से जोबट और पृथ्वीपुर छिन लिया है। हालांकि इस मुकाबले में भाजपा को अपनी रैगांव सीट खोनी पड़ी है। लेकिन ओवर ऑल भाजपा को जीत मिली है। भाजपा की इस जीत का पूरा श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) को जाता है। उन्होंने चुनावी क्षेत्रों में 39 सभाएं और पांच स्थानों पर रात्रि विश्राम कर भाजपा को विजेता बनाया है। उपचुनाव परिणामों ने साबित कर दिया की मप्र में शिवराज का सानी कोई नहीं है। शिवराज ने एक बार फिर से अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया है।
सबसे अधिक सभाएं की थी मुख्यमंत्री ने
खंडवा लोकसभा सहित तीन विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धुआंधार प्रचार किया था। उन्होंने सर्वाधिक 39 जनसभाएं की और पांच स्थानों पर रात्रि विश्राम किया, जिसमें जोबट, रैगांव खंडवा, बुरहानपुर और पृथ्वीपुर शामिल हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जनता के बीच अपनी सरकार की भावी योजनाओं का प्रस्तुत कर जनता के मन में विश्वास भरा। जिसका परिणाम यह हुआ है कि भाजपा ने मुकाबला 3-1 से जीत लिया है।
और मजबूत होंगे शिवराज
प्रदेश के इन उपचुनाव में भाजपा की जीत से प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और मजबूत होंगे। हालांकि उप चुनावों को लेकर के आम धारणा यह है कि अगर सरकार के खिलाफ बहुत ज्यादा असंतोष नहीं है तो सत्तारूढ़ पार्टी ही उस सीट पर जीतती है। भाजपा को प्रदेश में मिल रही जीत प्रदेश सरकार के खिलाफ असंतोष के न होने को दर्शा रहा है। हालांकि शिवराज सिंह चौहान ने उपचुनाव में जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और अपने दौरे के साथ-साथ उन सभी मंत्रियों और पार्टी के नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी थी जिनका उस क्षेत्र में प्रभाव था। इसके साथ ही साथ भाजपा ने प्रभावशाली ढंग से घर-घर जाकर वोटरों से संपर्क किया और नेताओं के साथ-साथ आपने कार्यकर्ताओं को भी मैदान में उतारा था। जिस तरह से भाजपा ने खंडवा के साथ ही जोबट और पृथ्वीपुर सीट जीती है वह उसके लिए काफी महत्वपूर्ण है। इनमें से जोबट वही क्षेत्र है जिसमें कांतिलाल भूरिया का प्रभाव ज्यादा है और यहां पर आदिवासी वोटरों की बहुलता है। यह भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इस जीत के बाद भाजपा आदिवासियों के समर्थन का दावा कर सकेगी। वहीं मप्र उपचुनाव के परिणाम कांग्रेस के लिए एक चेतावनी की तरह हैं। कांग्रेस जिस तरह से मान रही थी कि कोरोना और महंगाई के कारण जनता भाजपा से नाराज है और वह उसे वोट नहीं देगी, लेकिन जिस तरह से उपचुनाव के परिणाम आए हैं वह कांग्रेस के लिए एक झटका के साथ-साथ सबक भी है।
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