भोपाल। मिशन 2023 को सफल बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंध समिति की बड़ी जिम्मेदारी मिली है। तोमर वर्ष 2008 और 2013 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इन दोनों चुनावों में शिवराज और तोमर की जोड़ी ने शानदार परिणाम दिए थे। तोमर को संगठन में काम करने का भी लंबा अनुभव है। वे बयानबाजी से दूरी बनाकर रखते हैं और संगठन के लिए काम करने के लिए पहचाने जाते हैं। वे कई राज्यों में चुनावी प्रभारी की भूमिका भी निभा चुके हैं। तोमर प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन के विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। उनके पार्टी के क्षेत्रीय नेताओं से भी अच्छे संबंध हैं। हालांकि तोमर के सामने बड़ी चुनौतियां भी हैं। वे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से आते हैं और 2018 के विधानसभा चुनावों में यहां से भाजपा को निराशा हाथ लगी थी। जबकि कांग्रेस ने जबरदस्त बढ़त बनाई थी। ऐसे में भाजपा नेतृत्व के सामने प्रदर्शन को सुधारने और जीत हासिल करने के लिए संगठन में सामंजस्य बनाने की चुनौती है।
मप्र में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इस बार चुनाव में दिल्ली दरबार की भूमिका अहम होगी। इसलिए पार्टी ने मोदी-शाह के करीबी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश में अहम जिम्मेदारी सौंपी है। केंद्रीय मंत्री तोमर को विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया है। तोमर को यह जिम्मेदारी सौंप कर भाजपा ने प्रदेश में कई समीकरण साधे हैं। एक तरफ तोमर के जहां सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ अच्छे संबंध हैं, दूसरी तरफ ग्वालियर चंबल संभाग में भी तोमर की अच्छी पकड़ है। संगठन के जानकार मानते हैं कि तोमर का प्रदेश में सभी नेताओं के साथ बेहतर तालमेल है।
शाह ने दे दिया था संकेत
दरअसल, अमित शाह ने बीते मंगलवार को भोपाल में पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की थी। तभी उन्होंने इसके संकेत दिए थे कि प्रदेश संगठन में ज्यादा बदलाव नहीं होंगे। उन्होंने मौजूदा टीम को सबको साथ लेकर चलने के निर्देश दिए थे। बैठक में यह भी स्पष्ट हो गया था कि भाजपा चुनाव में पीएम मोदी के चेहरे के साथ उतरेगी। इसका स्पष्ट मतलब है कि पिछले चुनाव की तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने दम पर सारे फैसले नहीं ले सकेंगे। तोमर की नियुक्ति से यह बात और भी साफ हो गई है। नरेंद्र सिंह तोमर की नियुक्ति को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए भी झटका माना जा रहा है। दोनों ही नेता एक क्षेत्र से आते हैं। लंबे समय से चुनाव में सिंधिया को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बात सामने आ रही थी।
भोपाल और दिल्ली दोनों को भरोसा
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश में तोमर एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन पर भोपाल और दिल्ली दोनों को भरोसा है। वे पीएम मोदी-शाह के भी निकट और शिवराज सिंह चौहान के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। तोमर नई पीढ़ी के ऐसे समन्वयवादी नेता हैं, जो पुरानी पीढ़ी के नेताओं को साधकर और साथ लेकर चलने के लिए जाने जाते हैं। इन दिनों भाजपा के भीतर कई प्रकार की असंतोष की खबरें सामने आ रही हैं। लेकिन इस बीच तोमर को यह जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करने की दिशा में अहम कदम उठाया है। तोमर को जिम्मेदारी मिलने के बाद यह साफ हो गया कि प्रदेश में अब कोई नेतृत्व परिवर्तन और संगठन में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने जा रहा है।
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