कमलनाथ की गलती नहीं दोहराना चाहते… अफसरों को भी दिए इसी तरह के निर्देश
इन्दौर। अपने पहले के कार्यकाल में भी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सभी से मिलते-जुलते रहते थे और किसी को इनकार नहीं करते। मगर अब अपनी चौथी पारी में उन्होंने पूरी तरह से अपने दरवाजे विधायकों के लिए खोल दिए हैं। वहीं सभी मंत्रियों को भी हिदायत दी कि वे संगठन के अलावा विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों से लगातार मिलते रहें और उन्हें पर्याप्त समय भी दें। दरअसल, मुख्यमंत्री सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं, ताकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जैसी गलती ना हो जाए, जिसके चलते इतनी संख्या में कांग्रेसी विधायकों ने पार्टी का साथ छोडक़र भाजपा का दामन थाम लिया और अच्छी-भली चल रही सरकार को 15 महीने में ही गिरा दिया, क्योंकि सभी की यही शिकायत थी कि कमलनाथ किसी से नहीं मिलते। यहां तक कि उनके मंत्रियों ने भी कहा कि मुलाकात करने की की बजाय टरका दिया जाता था और धीरे-धीरे बढ़ते इसी आक्रोश ने कमलनाथ की कुर्सी भी छीन ली।
वैसे तो शिवराजसिंह चौहान सहज, सरल और आम जनता से लेकर गरीबों से लगातार मुलाकात करते रहे हैं। आज भी इंदौर आगमन पर वे पंचशील नगर गरीब बस्ती के लोगों से मिलना ना भूले और पूर्व में भी इंदौर आगमन पर यहां के लोगों से उनकी इसी तरह मुलाकात होती रही है। अपने पहले के कार्यकाल में भी मुख्यमंत्री संगठन और विधायक-सांसद से लेकर सभी को पर्याप्त तवज्जो देते थे और शादी समारोह से लेकर शोक बैठक, उठावने तक में शामिल होने इंदौर भी आते रहे। इस बार चूंकि सत्ता बड़ी मुश्किल से हाथ आई है और किसी तरह की गलती ना हो, लिहाजा शिवराज ने अपने दरवाजे विधायकों के साथ-साथ सभी के लिए खोल दिए हैं। पिछले दिनों उन्होंने कलेक्टर सहित सभी अधिकारियों को भी स्पष्ट निर्देश दिए कि वे अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, खासकर विधायकों को पूरा समय दें और उनकी बात गंभीरता से सुनें और जनता से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करवाएं। इसी तरह की हिदायत उन्होंने अपने मंत्रियों को भी दी है कि वे भोपाल के अलावा जब भी किसी जिले का दौरा करें तो वहां के विधायकों, जनप्रतिनिधियों से अवश्य मुलाकात करें और उनकी समस्याओं का निराकरण भी करवाएं, जिसका परिणाम यह है कि विधायकों की पूछ-परख सत्ता में बढ़ गई। वैसे भी जनप्रतिनिधियों के आरोप रहे हैं कि मुख्यमंत्री सिर्फ चुनिंदा अफसरों की ही सुनते हैं, लेकिन इस बार इस धारणा को शिवराज तोडऩा चाहते हैं। अभी भोपाल में भी वे लगातार विधायकों से मिलते रहे और उनसे प्राप्त सुझावों, शिकायतों के आधार पर अधिकारियों को भी निर्देश दिए जाते रहे। मुख्य सचिव सहित अन्य आला भोपाली अफसरों को भी कहा गया है कि किसी भी विधायक के पत्र पर गंभीरता से अमल किया जाए। इससे विधायक भी खुश हैं कि उनकी संगठन के अलावा सत्ता में भी सुनवाई हो रही है। अन्यथा कमलनाथ के तो विधायक छोड़, मंत्री भी खुलेआम यह शिकायत करते थे कि साहब उन्हें समय ही नहीं देते और मुलाकात करने की बजाय टरकाकर रवाना कर दिया जाता था, जिसके नतीजे में इतना बड़ा विद्रोह हुआ और एक साथ 22 कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया और तब भी सभी ने एक स्वर में यही कहा कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी और सिर्फ भ्रष्टाचार, लेन-देन के जरिए ट्रांसफर-पोस्टिंग और अन्य काम किए जा रहे थे। इसका खामियाजा कमलनाथ को भी भुगतना पड़ा और अच्छे मुख्यमंत्री साबित होने के बावजूद उन्हें सत्ता असंतोष के चलते ही गंवाना पड़ी और फिर उपचुनावों में भी कांग्रेस को ज्यादा सफलता नहीं मिली और एक बार फिर प्रदेश में शिवराज के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई। लिहाजा अब मुख्यमंत्री ने कुछ पुराने सबक सीखते हुए विधायकों के लिए 24 ही घंटे अपने दरवाजे खुले रखने का ऐलान भी कर दिया।
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