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ये राजनीतिक मेल-मिलाप भी तो बंद करवाइए शिवराजजी

July 21, 2020


कोरोना की जिम्मेदारी जनता पर ही थोपी… 
इन्दौर। ऐसा लगता है कि कोरोना संक्रमण से लडऩे-बचने की सारी जिम्मेदारी जनता और व्यापारियों पर ही है और सरकार के साथ-साथ सारे राजनीतिक दल संक्रमणमुक्त मान लिए गए हैं। तीन महीने तक लगातार कफ्र्यू-लॉकडाउन के बाद कड़ी शर्तों के साथ बाजारों को खुलवाया गया, तो उस पर भी ढेर सारे प्रतिबंध लाद दिए गए। मुख्यमंत्री ने संक्रमित जिलों में हफ्ते में दो दिन लगातार लॉकडाउन करने, रात्रिकालीन कफ्र्यू 8 बजे से लागू करने और दफ्तरों में भी 50 प्रतिशत स्टाफ बुलाने को कहा है। संक्रमण रोकने के लिए जनता को आपस में मेल-मिलाप न करने की सलाह दी है और सभी त्योहार भी घर में मनाए जाएंगे। लेकिन राजनीतिक त्योहार, यानी चुनाव के लिए पूरी छूट है। सवाल यह है कि ये राजनीतिक मेल-मिलाप कब बंद होगा, जहां सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर मास्क न लगाने के रोजाना ढेर सारे फोटो-वीडियो सामने आते हैं।
एक तरफ शराब की दुकानें न ऑड-ईवन और न लेफ्ट-राइट फार्मूले से प्रभावित हुईं, वहीं अन्य दुकानों पर ये प्रतिबंध थोपा गया है। यानी शराब दुकानें कोरोना-फ्री हैं और अन्य दुकानें नहीं। पहले से ही कारोबार पूरी तरह चौपट है। अब रविवार के लॉकडाउन के अलावा हफ्ते में सिर्फ 3 दिन ही दुकानें खुल पा रही हैं। ऐसे में 30 दिन का भाड़ा, तनख्वाह और अन्य खर्चे कैसे पूरे होंगे? दूसरी तरफ सितम्बर के अंतिम दिनों में उपचुनाव करवाने की घोषणा आयोग ने कर दी है, जिसके चलते कांग्रेस-भाजपा के सारे नेता चुनाव प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। सांवेर के कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू खुद पॉजिटिव हो गए। वहीं रोजाना शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक आयोजनों के समाचार सामने आ रहे हैं, जिनमें न तो मास्क लगाए जाते हैं और न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाता है। शादी, जन्मदिन से लेकर शवयात्रा-उठावने में 30 लोगों की अनुमति है, लेकिन इन राजनीतिक आयोजनों में 100 से लेकर 500 और हजारों की भीड़ नजर आती है, जहां पर कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने की संभावना ज्यादा रहती है। वहीं सारे धार्मिक स्थल बंद हैं और मुख्यमंत्री ने रक्षाबंधन, ईद सहित सभी त्योहार घर पर ही मनाने की अपील की है। यह भी कहा कि लोगों के आपसी मेल-मिलाप के चलते संक्रमण बढ़ता है, लेकिन राजनीतिक मेल-मिलाप बंद नहीं हो रहा है, क्योंकि चुनाव जीतकर सरकार चलाना है। जिन दफ्तर या संस्थाओं में कोरोना पॉजिटिव मिलेगा उसे 7 दिन तक बंद करने का भी तुगलकी फरमान जारी किया गया, जबकि सरकारी कार्यालयों में ही कोरोना मरीज मिलने के बावजूद दफ्तर चालू हैं। नगर निगम के ही कई कर्मचारी अभी संक्रमित पाए गए हैं, जिसके चलते लोगों से अपील की गई है कि वे निगम मुख्यालय अत्यंत जरूरी काम से ही आएं।

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