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    भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में शिवराज सबसे दमदार

  • September 06, 2022

    • भाजपा के केंद्रीय संगठन की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में दिखा तीन मुख्यमंत्रियों का दम
    • केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन, संगठन और संघ के मापदंड पर चौहान, योगी और सरमा की परफॉर्मेंस से पीएम गदगद

    भोपाल। मिशन 2024 को लेकर भाजपा के केंद्रीय संगठन ने हाल ही में भाजपा शासित राज्यों की स्थिति का आकलन कराया, जिसमें मप्र सहित तीन राज्यों में पार्टी की स्थिति मजबूत पाई गई। केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन, संगठन, संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मापदंड पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबसे विश्वसनीय मुख्यमंत्री बनकर सामने आए हैं। इनके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की परफॉर्मेंस से प्रधानमंत्री पूरी तरह संतुष्ट हैं। सूत्रों का कहना है की भाजपा संगठन इन तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तरह अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कार्य करने का निर्देश देगा। पार्टी का मानना है कि अगर इन तीनों राज्यों की तरह अन्य राज्यों में काम हुआ तो मिशन 2024 की राह आसान हो जाएगी।
    गौरतलब है कि मप्र में मुख्यमंत्री बदलाव की हवा पिछले 2 साल से चल रही है। प्रदेश में भले ही एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर बदलाव की चर्चा जोर पकड़ रही हो, लेकिन दिल्ली की स्थिति इस मामले में पूरी तरह अलग है। इतनी अलग कि इससे जहां शिवराज सिंह चौहान के समर्थकों के बीच उत्साह बढ़ गया है, वहीं चौहान के विरोधी खेमे में एक बार फिर मायूसी पसरने लगी है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि भाजपा के नए राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने जब से कार्यभार संभाला है नए सिरे से देश-भर की भाजपा सरकार और संगठन उनके स्कैनर पर आ गए हैं। इसी सबके बीच एक नया तथ्य सामने आया है। राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन भाजपाई मुख्यमंत्रियों के काम को सर्वाधिक पसंद किया है। इनमें शिवराज सहित उत्तर प्रदेश से योगी आदित्यनाथ एवं असम से हिमंता बिस्वा सरमा के नाम शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि तीनों मुख्यमंत्रियों को उनके कुशल शासन तथा लोकप्रियता के आधार पर श्रेष्ठ पाया  गया है।

    शिवराज के मुकाबिल कोई नहीं
    भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल द्वारा कराए गए सर्वे और किए गए स्कैन के बाद जानकारों का दावा है कि योगी तथा सरमा के मुकाबले शिवराज ने मोदी के पसंदीदा मुख्यमंत्रियों में अव्वल जगह बना ली है। गौरतलब है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद संगठन ने शिवराज को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर सदस्यता अभियान का जिम्मा दे दिया था। उस समय इस फैसले को शिवराज को मध्यप्रदेश से दूर रखने की कोशिश का हिस्सा माना गया था, लेकिन चौहान ने सदस्यता अभियान को व्यापक गति देकर अपनी उपयोगिता एक बार फिर सिद्ध कर दी थी। इसके साथ ही वह टाइगर अभी जिन्दा है के वाक्य के साथ मध्यप्रदेश में भी लगातार सक्रिय रहे थे। भाजपा के राष्ट्रीय सूत्रों का कहना है कि चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज ने राज्य की 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में 19 सीटों पर भाजपा की सफलता के जरिए एक बार फिर अपनी क्षमता दिखाकर मोदी को खासा प्रभावित किया। उनके हिस्से यह उपलब्धि भी रही थी कि लगातार तीन बार के शासन के मुकाबले उभरे एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर के बाद भी 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अंगुलियों पर गिनने लायक सीटों के अंतर से ही बहुमत से पीछे रह गयी थी। लेकिन भाजपा का वोट प्रतिशत भाजपा से अधिक था। यह इस बात को दर्शता है की शिवराज के मुकाबिल कोई नहीं है।


    शिवराज अपने समकक्षों से आगे
    उत्तर प्रदेश में योगी के बुलडोजर तथा असम में सरमा के देश-विरोधी गतिविधियों के विरुद्ध अभियान वाले मॉडल को भले ही शिवराज ने अपनाया है, लेकिन एक मायने में वह इस मामले में अपने इन दो समकक्षों से आगे चल रहे हैं। असामाजिक तत्वों के निर्माण ध्वस्त करने और खरगोन में दंगाइयों के खिलाफ बुलडोजर वाली कार्यवाही के बाद भी शिवराज अपनी सरकार को उत्तर प्रदेश या असम से अलग अल्पसंख्यकों की खुली नाराजगी के निशाने पर आने से बचाए रखने में सफल रहे हैं। दिल्ली की नब्ज समझने वाले सूत्र कहते हैं कि शिवराज की मास अपील ने उन्हें मोदी के और अधिक नजदीक वाला स्थान दिलाया है। जनता से सीधा और सहज संवाद कायम कर शिवराज इस मामले में भी सफल रहे हैं। यह फैक्टर भी शिवराज के लिए मददगार रहा है कि देश के कई हिस्सों में केंद्र सरकार के लिए असुविधा का कारण बने किसान आंदोलन का मध्यप्रदेश में न के बराबर असर देखने को मिला, वह भी तब, जबकि शिवराज ने ढृढ़ता के साथ किसानों का कर्ज माफ करने से इंकार कर दिया था। जबकि यह कर्ज माफी ही वह घोषणा थी, जिसने 2018 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही बीते दिनों हुए निकाय चुनावों  में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए अपनी सटीक रणनीति तथा महिलाओं को 35 की बजाय 50 प्रतिशत आरक्षण दिलवाकर चौहान ने मोदी की गुड बुक में अपने नंबर और बढ़ा लिए हैं। इसलिए तमाम कयासों की चिंता किए बिना शिवराज आज भी बिंदास अंदाज से मप्र को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हुए हैं।

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