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    शिवराज और सिंधिया पर होगी जीताने की जिम्मेदारी

  • December 21, 2020

    • उपचुनाव की तरह निकाय चुनाव लड़ेगी भाजपा

    भोपाल। नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा भले ही नहीं हुई है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस में तैयारियां शुरू हो गई हैं। भाजपा उपचुनाव की तरह ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे रखकर निकाय चुनाव लड़ेगी। वहीं भाजपा इस बार निकाय चुनाव में युवाओं का अधिक से अधिक प्रत्याशी बनाएगी। मप्र में सत्ता परिवर्तन और उपचुनाव में भाजपा की जीत के बाद शिवराज और सिंधिया की जोड़ी भाजपा के साथ ही जनता में लोकप्रिय हो रही है। इसलिए पार्टी को उम्मीद है कि नगरीय निकाय चुनाव में इस जोड़ी के कारण भाजपा अधिक से अधिक निकायों पर कब्जा कर सकती है।

    दिखेगा युवा कार्ड
    दरअसल, भाजपा 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रदेश में युवाओं को जाडऩेे के लिए बड़ी तैयारी कर रही है। सिंधिया खुद को युवा नेतृत्व के तौर पर पेश कर रहे हैं, तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अपने कार्यकाल में पार्टी की सत्ता वापसी, उपचुनाव में भारी जीत और कांग्रेस में लगातार सेंध से मजबूत हुए हैं।

    भाजपा युवाओं को मौका देगी
    उपचुनावों में जीत के बाद भाजपा का फोकस नगरीय निकाय चुनावों में हैं। टिकटों को लेकर मंथन का भी दौर शुरू हो गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव नगरीय निकाय चुनावों में भी दिखाई देगा। राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों को भी मौका मिल सकता हगै। फिलहाल सभी 16 स्थानीय निकायों पर भाजपा का कब्जा रहा है, जिसे बरकरार रखने के लिए भाजपा युवाओं को मौका देना चाहती है। पार्टी स्थानीय चुनाव में भी जीत के लिए कोशिश कर रही है। भाजपा नेताओं द्वारा दावा किया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमा पार्टी में पूरी तरह घुल-मिल चुका है, लेकिन विधानसभा उपचुनाव के परिणाम आने के बाद भी कई नेताओं की हार के बाद बगावत के सुर भी सुनाई दिए थे। लेकिन वे सुर अब दब गए हैं।

    प्रत्याशी चयन में संतुलन
    सूत्र बताते हैं कि उपचुनाव की तर्ज पर सिंधिया खेमा मनचाहे टिकट के मूड में हैं, वहीं भाजपा के पुराने दिग्गज अपने करीबियों के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। यह नजारा निकाय चुनावों में चयन प्रक्रिया से लेकर टिकट वितरण, कैबिनेट और संगठन पदाधिकारियों के चयन में देखने को मिल रहे हैं। संगठन के सामने दोनों मामलों में संतुलन की चुनौती बनी हुई है। भाजपा ने पीढ़ी परिवर्तन को फोकस करते हुए युवाओं को अधिक टिकट देने का मन बना लिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तो उनके साथ हजारों समर्थकों ने भी पार्टी छोड़ दी थी। अब नगरीय निकाय चुनावों में इन समर्थकों को मौका देने का जोर ज्योतिरादित्य सिंधिया लगा सकते हैं। पूरे प्रदेश में नहीं तो ग्वालियर-चंबल अंचल पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का असर जरूर दिखाई देगा। ग्वालियर-चंबल में सिंधिया के साथ केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी फैक्टर देखने को मिलेगा।

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