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    संस्थाओं की हड़पी ढाई लाख फीट जमीन पर शिवम पैराडाइज

  • December 11, 2020


    अग्निबाण खुलासा… भूमाफिया ने फिर दिखाया खेल… सहकारिता विभाग से भी हासिल कर ली एनओसी
    इंदौर। एक तरफ मुख्यमंत्री ने भूमाफियाओं पर भी नकेल कसने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। दूसरी तरफ उनके नित नए कारनामे उजागर भी हो रहे हैं। शहर के चर्चित भूमाफिया ने एक बार फिर गृह निर्माण संस्थाओं की हड़पी लगभग ढाई लाख स्क्वेयर फीट जमीन निजी लोगों को बेच डाली, जिस पर शिवम पैराडाइज नाम से खजराना में कॉलोनी विकसित की जा रही है और ऊंचे दामों पर बिना अनुमति के भूखंड बेच भी दिए हैं। इस मामले में सहकारिता विभाग की भी मिलीभगत उजागर हुई, जिसने पिछले दिनों संस्था की जमीन पर आवासीय भूखंडीय विकास की अनुमति देने की एनओसी निगम के कॉलोनी सेल को सौंप दी। अभी उपायुक्त बबलू सातनकर की इंदौर से ढाई महीने में ही जो रवानगी हुई, उसके पीछे यह घोटाला भी बताया जा रहा है। अग्निबाण के पास इस जमीन घोटाले से संबंधित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध हैं।
    बीते 10 सालों से शासन-प्रशासन और पुलिस विभाग भूमाफियाओं पर कार्रवाई करता रहा है, जिनमें गृह निर्माण संस्थाओं के ही घोटाले सबसे अधिक रहे और कुछ चर्चित भूमाफियाओं को जेल भी भिजवाया और कुछ फरारी काटने के बाद जमानत पा गए, लेकिन ये भूमाफिया फिर भी बाज नहीं आ रहे और अपनी जादूगरी दिखाते रहे हैं। खजराना क्षेत्र में ही सबसे ज्यादा इन भूमाफियाओं ने जमीनी घोटाले किए। पिछले दिनों ही बब्बू-छब्बू के निर्माणों को तोड़ा गया। वहीं अभी खजराना के सर्वे नम्बर 415/2, 415/1/2, 415/1/3 की कुल रकबा 2.372 हेक्टेयर, यानी लगभग ढाई लाख स्क्वेयर फीट जमीन पर आवासीय भूखंडीय विकास की अनुमति निगम के कॉलोनी सेल से मांगी गई। यहां पर शिवम पैराडाइज नाम से कॉलोनी विकसित की जा रही है, जिसकी पूरी जमीन गृह निर्माण संस्थाओं से हड़पकर शैलेन्द्र पिता राधारमण अग्रवाल, अमित अग्रवाल और सुनील अनोखीलाल कटारिया को बेच दी गई। निगम के कॉलोनी सेल ने गृह निर्माण संस्था की जमीन होने के कारण उपायुक्त सहकारिता से एनओसी पर उनकी अनापत्ति व अभिमत मांगा, जिस पर 4 दिसम्बर को ही तत्कालीन उपायुक्त बबलू सातनकर ने एनओसी दे दी, जिसमें कहा गया कि आवासीय भूखंडीय विकास की अनुमति देने में सहकारिता विभाग को कोई आपत्ति नहीं है, जबकि जिन संस्थाओं की जमीन पर यह एनओसी दी गई उनके खिलाफ सालों से भूखंड पीडि़त संघर्ष कर रहे हैं। सातनगर का हाल ही में भोपाल तबादला किया गया और पूर्व में पदस्थ मदन गजभिये को फिर से लाया गया है। इस तबादले के पीछे भी इस भू-घोटाले के उजागर होने की महत्वपूर्ण बात रही है, जिसकी जानकारी भोपाल तक पहुंची और ताबड़तोड़ तबादला कर दिया गया। ये ढाई लाख स्क्वेयर फीट जमीन पत्रकार गृह निर्माण संस्था से शैलेन्द्र अग्रवाल को 31.03.2006 को बेची गई, जिसका सर्वे नम्बर 415/1/3 और रकबा 0.753 हेक्टेयर है। इसी तरह दूसरी जमीन ब्लू स्टार बिल्डर्स तर्फे दिलीप सिसौदिया ने अमित अग्रवाल को सर्वे नं. 4151/2 की बेची, जिसमें 0.809 हेक्टेयर जमीन शामिल है। इसी तरह इसी कॉलोनी में शामिल तीसरी जमीन का टुकड़ा जागृति गृह निर्माण का सुनील कटारिया को सर्वे नं. 415 की लगभग 2 एकड़ जमीन मात्र 2 लाख रुपए में 11.09.1998 को बेच दी गई। इस तरह इन तीनों जमीनों का रकबा 2.372 हेक्टेयर, यानी ढाई लाख स्क्वेयर फीट होता है, जिस पर शिवम पैराडाइज नामक कॉलोनी विकसित की जा रही है। नगर तथा ग्राम निवेश ने संशोधन के बाद दूसरी बार इसका अभिन्यास मंजूर किया और निगम से 15 जुलाई को तीनों जमीन मालिकों ने कॉलोनाइजर का लाइसेंस भी हासिल कर लिया। दरअसल, पूर्व में नगर तथा ग्राम निवेश ने जो अभिन्यास 05.08.2019 को मंजूर किया था, उसमें रोड का अलाइनमेंट गलत कर दिया, जिसकी शिकायत के बाद अभिन्यास को संशोधित करना पड़ा। फिलहाल निगम के कॉलोनी सेल ने भूखंडीय विकास की अनुमति नहीं दी है और इस संबंध में नजूल सहित अन्य एनओसी मांगी गई। इसी बीच यह जमीन घोटाला पकड़ में आ गया।
    80 लाख में खरीद ली करोड़ों की जमीन
    गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को औने-पौैने दामों में खरीदकर बेचा जाता रहा है। शिवम पैराडाइज में शामिल जमीनें भी पत्रकार गृह निर्माण और जागृति गृह निर्माण की शामिल की गईं, जिनमें से पत्रकार गृह निर्माण की जमीन 37 लाख 85 हजार रुपए और ब्लू स्टार बिल्डर की जमीन, जो कि मूल रूप से जागृति गृह निर्माण की ही है, वह पहले पत्रकार गृह निर्माण, उसके बाद ब्लू स्टार ने खरीदी। उसे फिर अमित अग्रवाल को 39 लाख 45 हजार रुपए में बेचा। वहीं जागृति गृह निर्माण की 2 एकड़ जमीन मात्र 2 लाख रुपए में बेची। यानी लगभग 80 लाख रुपए में करोड़ों की जमीन भूमाफियाओं ने बेच डाली और ऊपरी पैसा जेब में रख लिया।
    उपायुक्त सातनकर की रवानगी का एक कारण यह भी
    तीन दिन पहले ही उपायुक्त सातनकर का तबादला भोपाल किया गया। उस मामले में भी इस जमीन घोटाले को एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। दरअसल, सातनकर की पदस्थापना भूमाफिया के इशारे पर ही इंदौर में कराई गई थी, जिन्होंने आते ही इस तरह के खेल शुरू कर दिए, जिसका भंडा फूटा और मुख्यमंत्री के निर्देश पर सातनकर की इंदौर से रवानगी जल्द ही हो गई और पूर्व में पदस्थ मदन गजभिये फिर आ गए।
    संस्था की जमीन निजी कम्पनी में शामिल कर बेच डाली
    भूमाफियाओं ने गृह निर्माण संस्थाओं में सुनियोजित डकैतियां डाली हैं, जिनके लगातार खुलासे होते रहे हैं। कई संस्थाओं की जमीनें सीधे किसानों से खरीद ली गईं, तो इस मामले में भी ब्लू स्टार बिल्डर के पार्टनर दिलीप सिसौदिया ने जो जमीन अमित अग्रवाल को बेची वह पत्रकार गृह निर्माण संस्था से खरीदी गई और इस संस्था ने भी यह जमीन राजकुमार भोगे व ओमप्रकाश जोशी से खरीदी। उन्होंने भी यह जमीन जागृति से ली थी।
    खजराना की जमीन पर इस तरह अंजाम दिया घोटाले को
    खजराना की ढाई लाख स्क्वेयर फीट जिस जमीन पर घोटाले को अंजाम दिया गया वह जमीन जागृति गृह निर्माण की ही है, जिसके अलग-अलग टुकड़े संस्थाओं और निजी कम्पनियों को बिकते रहे। अग्निबाण के पास मौजूद तीनों टुकड़ों की रजिस्ट्रियों से खुलासा होता है कि पत्रकार गृह निर्माण ने सर्वे नं. 415/1/3 की जो 1.86 एकड़ जमीन शैलेन्द्र अग्रवाल को बेची, वह भी मूल रूप से जागृति गृह निर्माण की ही है। ये जमीनें कृषि उपयोग की बताकर संस्थाओं के हित में विक्रय न होने के बहाने से बेची गईं और बाद में इन्हीं जमीनों पर आवासीय कॉलोनी की मंजूरी हासिल कर ली गई। इसी तरह जागृति गृह निर्माण ने सुनील कटारिया को जो जमीन बेची उसमें भी कृषि भूमि होने का बहाना लिया गया।


    कलेक्टर बोले – सख्ती से होगी पूरे घोटाले की जांच
    इस जमीन घोटाले के संबंध में जब कलेक्टर मनीष सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे शिवम पैराडाइज की सख्ती से जांच करवाएंगे और यह भी पता लगाएंगे कि यह जमीनें किन-किन संस्थाओं से किस तरह से खरीदी गईं और सहकारिता विभाग ने एनओसी कैसे दे दी। मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं कि भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। लिहाजा इस मामले में भी दोषियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। जो अधिकारी लिप्त मिलेंगे, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यही कारण है कि अभी राजस्व प्रकरणों में सफाई का अभियान चल भी रहा है।

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