उज्जैन। महाकाल क्षेत्र में व्यवस्था को संभालने के लिए नये बैरिकेट्स बनाए जा रहे हैं लेकिन इन पर शिव का त्रिपुंड और नेत्र बना दिए हैं जिससे धर्माचार्य और संत नाराज हैं। उज्जैन में महाकाल लोक के सामने पार्किंग स्थल के पीछे इन दिनों हजारों की संख्या में नए बैरिकेट्स बनाए जा रहे हैं। कुछ बैरिकेट्स तो बनकर तैयार भी हो गए हैं और महाकाल क्षेत्र में लगा भी दिए गए हैं और अन्य बैरिकेट्स बनाने का काम किया जा रहा है लेकिन इन बैरिकेट्सों पर शिव का त्रिपुंड और बीच में नेत्र को लगा दिया गया है जो कि अक्सर शिव के मस्तक पर देखा जाता है। भगवान शिव त्रिनेत्र धारी हैं और उनके मस्तक पर शिव त्रिपुंड के साथ तीसरा नेत्र धार्मिक प्रतीक स्वरूप रहता है लेकिन इस त्रिपुंड और नेत्र को लोहे के बैरिकेट्स पर लगा दिया गया है और यह बैरिकेट्स अब भीड़ भरे क्षेत्रों में व्यवस्था को संभालने के लिए लगाए जाएँगे।
जैसे की भीड़ व्यवस्था, ट्राफिक व्यवस्था या कहीं रास्ता रोकना हो तो यह बैरिकेट्स लगाए जाएँगे। ऐसे में इन धार्मिक प्रतीकों का अपमान होगा। इस संबंध में संत डॉ. अवधेश पुरी महाराज ने बताया कि यह धार्मिक प्रतीकों का अपमान है। धार्मिक प्रतीक भगवान का ही रूप होते हैं और धार्मिक प्रतीकों का अपमान भगवान के अपमान के समान है। प्रतीकों का उपयोग हर स्थान पर नहीं होना चाहिए। आपने कहा कि विडंबना यही है कि महाकाल लोक निर्माण से लेकर अभी तक जितने भी निर्माण किए जा रहे हैं उसमें धर्माचार्यों की कोई राय नहीं ली गई है।
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