शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में एक बार फिर बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में बन रही एनडीए सरकार को लेकर तंज कसा है। शिवसने ने लिखा, “हारे हुए पहलवान को जीत का पदक देने जैसा है नीतीश कुमार को सीएम बनाना।” सामना के संपादकीय में शिवसेना ने तर्क दिया है कि बिहार का जनमत दो अलग-अलग विचारधाराओं को मिला है। पहला भाजपा को और दूसरा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को। नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के साथ राज्य की जनता नहीं है।
आगे शिवसेना ने संपादकीय के जरिए एनडीए और बीजेपी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि ऐसे में नीतीश को मुख्यमंत्री बनाना “जनता द्वारा ठुकराए दिए गए मुख्यमंत्री पद पर उन्हें बैठाना एक तरह से जनमत का अपमान है।” बिहार में भी यही आरोप लगे है कि ओवैसी की वजह से तेजस्वी और महागठबंधन के लगभग 15 उम्मीदवार हारे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि यदि ये नहीं होता तो सियासी समीकरण कुछ और होता। संपादकीय में शिवसेना ने आरोप लगाया है कि चिराग पासवान को चुनाव में नीतीश का पंख कतरने के लिए उतारा गया था।
शिवसेना का आरोप है कि बीजेपी के इशारों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और चिराग पासवान ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और दोनों ने परोक्ष रूप से भाजपा की मदद की। चिराग ने एनडीए से नाता तोड़ते हुए अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू को नुकसान पहुंचाने की बात कही थी जबकि बीजेपी को नुकसान न हो इसके लिए उन्होंने काफी तैयारियां की थी। संपादकीय में ये आरोप लगाया है कि “इस बाजी के लिए भाजपा ने चुनाव मैदान में जिन मोहरों को घुमाया, उनमें ‘ओवैसी’ को पहला नंबर देना होगा।”
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