मुंबई। जम्मू-कश्मीर में एक मुठभेड़ में सेना के पांच जवानों के शहीद होने के एक दिन बाद, शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि आतंकवादियों के साथ आमने-सामने की लड़ाई में सैनिकों की मौत का पांच गुना बदला लिया जाना चाहिए। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष अधिकारों को छीनने वाले अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को रद्द करने के बाद से पाकिस्तान के हमदर्दों का हौसला बढ़ा है।
इसमें कहा गया है कि आतंकवादी ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जहां दूसरे धर्म के लोग घाटी में प्रवेश नहीं कर सकें। हाल के हफ्तों में आतंकवादी हमलों में तेजी आई है जिसमें एक प्रमुख कश्मीरी पंडित व्यवसायी और एक स्कूल शिक्षक सहित कई नागरिक मारे गए। इन हत्याओं का जिक्र करते हुए शिवसेना ने कहा कि इस तरह की हिंसक घटनाएं इस बात का एहसास कराती हैं कि क्या 1990 के दशक की तरह स्थिति बन रही है जब हजारों कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था।
पार्टी ने अपने संपादकीय में कहा कि जब तक पांच सैनिकों को मारने वाले आतंकवादियों को कुचला नहीं जाता, तब तक भारतीय मन को शांति नहीं मिलेगी। इससे पहले कि सुरनकोट मुठभेड़ में शहीद हुए पांच सैनिकों का खून सूख जाए, इस मौत का पांच गुना बदला लिया जाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों में सोमवार को हुई तीन मुठभेड़ों में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) समेत सेना के पांच जवान और दो आतंकवादी मारे गए। सीमावर्ती जिले पुंछ के सुरनकोट इलाके में डेरा की गली (डीकेजी) के पास एक गांव में आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में सैनिकों की जान चली गई थी, जब सेना और पुलिस ने आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया सूचना के बाद एक संयुक्त अभियान शुरू किया था।
सेना के पांच जवानों के शहीद होने के बाद सोमवार को शिवसेना और डोगरा फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन किया और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने और उसे बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का पुतला भी फूंका।
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