मुंबई। शिवसेना ने बुधवार को कहा कि केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा आयोजित किया गया भारत बंद राज्य समर्थित अराजकता को करारा जवाब था। शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार अपने राजनीतिक हितों के लिए देश पर भय और आतंक की तलवार लटकाकर रखना चाहती है।
सामना में आरोप लगाया गया है देश में अशांति का समाधान ढूंढने के बजाय यह अशांति बनाए रखना चाहते हैं। विभिन्न किसान यूनियनों ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया था। संपादकीय में पूछा गया है कि राजनीतिक दलों द्वारा भारत बंद को समर्थन दिए जाने में क्या गलत था। इसमें किसानों के आंदोलन को देश में अराजकता पैदा करने की कोशिश बताए जाने और विरोध कर रहे किसानों को खालिस्तानी करार देने के लिए भाजपा की आलोचना की गई।
संपादकीय के अनुसार पश्चिम बंगाल में भाजपा जाति और धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण कर रही है वह राजनीतिक अराजकता है। खून-खराबे और हिंसा की धमकियां दी जा रही हैं, यह अराजकता है। संपादकीय में कहा गया कि अगर किसानों के मुद्दों का तेजी से समाधान हो जाता तो वे घर वापस चले जाते।
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