उज्जैन। गर्मी के दिनों में हर साल शिप्रा का जलस्तर घटता है, वहीं मंगलनाथ और भैरवगढ़ क्षेत्र में शिप्रा नदी जलकुंभी के साथ-साथ काई की चपेट में आ जाता है। इस बार सिद्धवट क्षेत्र में भी शिप्रा इससे नहीं बच पाई है। सिद्धवट पर आधे अधूरे निर्माण कार्यों से श्रद्धालुओं को घाटों तक पहुँचने में भी समस्या आ रही है। जलकुंभी और काई की सफाई नगर निगम भी नहीं करा रहा है। उल्लेखनीय है कि हर साल बारिश के दो-तीन महीने बाद ही अक्टूबर, नवम्बर माह से शिप्रा नदी का प्रवाह भैरवगढ़ से लेकर मंगलनाथ होते हुए सिद्धवट तक रूक जाता है। ठहरे हुए पानी में सबसे पहले मंगलनाथ क्षेत्र में शिप्रा में जलकुंभी और काई फेलने लगती है और यही स्थिति भैरवगढ़ क्षेत्र में भी बन जाती है। परंतु पिछले कुछ सालों से सिद्धवट क्षेत्र में यह समस्या नहीं हो रही थी लेकिन अब यहाँ भी गर्मी के दिनों में सिद्धवट घाट क्षेत्र में शिप्रा के पानी पर चारों ओर काई फैल गई है।
निर्माण और सौंदर्यीकरण के काम रूके
सिद्धवट मंदिर तथा घाट और परिसर के सौंदर्यीकरण और नए निर्माण को लेकर दो साल पहले यहाँ काम शुरु किया गया था। इसके तहत सिद्धवट मंदिर का जीर्णोद्धार और घाटों के साथ-साथ परिसर में शेड बनाने, व्यवस्थित पार्किंग बनाने आदि के काम शुरु किए गए थे। यह काम भी कुछ महीने पहले बंद हो गए थे और उसके बाद से वापस शुरु नहीं हो पाए। क्षेत्र के पंडे पुजारियों का कहना है कि निर्माण कार्य अधूरे रह जाने के कारण यहाँ पितृों के तर्पण और श्राद्धकर्म तथा सिद्धवट मंदिर के दर्शन करने आ रहे श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है।
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