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    गर्मी से पहले ही सूखने लगी शिप्रा

  • February 13, 2023

    • पिछले महीने दो बार छोड़ा गया था नर्मदा का पानी -गंभीर डेम का लेबल भी घट रहा

    उज्जैन। गर्मी का सीजन शुरू होने में अभी लगभग एक माह की देरी है, परंतु इससे पहले ही त्रिवेणी क्षेत्र में शिप्रा नदी सूखने लगी है। स्नान पर्वों के चलते पिछले महीने दो बार नर्मदा का पानी शिप्रा में छोड़ा गया था। इधर पानी चोरी के कारण शिप्रा के साथ-साथ गंभीर डेम का लेबल भी तेजी से घट रहा है। इससे गर्मी के दिनों में और परेशानी होगी। गंभीर डेम में हर साल गर्मी शुरु होने से पहले ही जलस्तर घट जाता है। अप्रैल से लेकर जुलाई महीने तक जलप्रदाय करने के लिए पीएचई को भी गंभीर डेम में चैनल कटिंग का सहारा लेना पड़ता है। इस बार उज्जैन तथा इंदौर में हुई अच्छी बारिश के कारण गंभीर डेम पूरा भर गया था। इसके बाद अक्टूबर से कलेक्टर ने गंभीर डेम के पानी को पेयजल के लिए सुरक्षित रखने के आदेश जारी कर दिए थे। कलेक्टर के आदेश पर पीएचई तथा विद्युत मंडल व अन्य विभागों की मदद से गश्ती दल तैयार किए गए थे।



    पीएचई से मिली जानकारी के मुताबिक कल गश्ती दल ने गंभीर डेम के असलाना और नलवा केचमेंट ऐरिया के अलावा विभिन्न क्षेत्र से मोटर पंप जब्त भी किए। इसके जरिये कुछ लोग डेम का पानी सिंचाई के लिए उपयोग चोरी से कर रहे थे। इसके पहले गत वर्ष भी पीएचई का गश्ती दल 38 पंप जब्त कर चुका था। लगातार सर्चिंग के बावजूद गंभीर डेम से रोज पानी चोरी हो रहा है। शिप्रा के घाटों पर भी सैकड़ों अवैध मोटर पंप लगे हुए हैं लेकिन यहाँ कार्रवाई नहीं की जा रही। गंभीर डेम में अभी 1300 एमसीएफटी के लगभग पानी शेष है, लेकिन ठंड के दिनों में भी शहर में नियमित जलप्रदाय के अलावा 4 से 5 एमसीएफटी पानी अतिरिक्त घट रहा है। अभी औसतन डेम से रोजाना 11 एमसीएफटी पानी कम हो रहा है, जबकि शहर में एक दिन में जलप्रदाय के लिए 5 से 6 एमसीएफटी की आवश्यकता होती है। शिप्रा के किनारों पर भी त्रिवेणी से लेकर कालियादेह महल तक कई स्थानों पर दर्जनों मोटर पंप नदी किनारे दिखाई दे रहे हैं और सिंचाई के लिए पानी की चोरी की जा रही है।

    तेजी से हो रहे बोरिंग के खनन, जल स्तर गिरा
    जनवरी माह में शनिश्चरी अमावस्या तथा इसके बाद माघ मास की पूर्णिमा के दौरान शिप्रा में पाईप लाईन के जरिए नर्मदा का पानी छोड़ा गया था। इसके बावजूद अभी से त्रिवेणी संगम क्षेत्र में शिप्रा सूखी नजर आ रही है और कई जगह नदी का तल दिखाई दे रहा है। इधर पिछले एक दशक में नदी किनारों से लेकर शहर में चारों ओर तेजी से नए निर्माण हो रहे हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में बोरिंग के खनन की अनुमति दी जा रही है। जानकारों के अनुसार इसके चलते भी जलस्तर तेजी से घट रहा है और इसका असर नदी तथा कुए, बावडिय़ों पर पड़ रहा है। शिप्रा नदी में पानी चोरी भी बड़ी मात्रा में हो रही है।

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